माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की आयु में निधन, लंबे समय से थे बीमार

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता और महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की आयु में निधन, लंबे समय से थे बीमार

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता और महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और हाल ही में उन्हें इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया था.

येचुरी को 19 अगस्त को पहले एम्स में भर्ती किया गया था, जहां उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट जारी थी और गुरुवार को एक बार फिर उनकी तबीयत गंभीर हो गई थी.

सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव और पार्टी के संसदीय दल के नेता थे। उनका जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह 2016 में राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके थे.

येचुरी ने आपातकाल के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अध्ययन करते हुए गिरफ्तारी का सामना किया और तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. 1984 में वे सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति में शामिल हुए और 2015 में पार्टी के महासचिव बनाए गए.

वह 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे और संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया. पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था, और हाल ही में उन्होंने मोतियाबिंद की सर्जरी कराई थी. फेफड़ों में संक्रमण के कारण उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था.

राहुल गांधी ने व्यक्त किया शोक

राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पर साथ की फोटो साझा करते हुए लिखा कि सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे.

भारत के विचार के रक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले थे. मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी. दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.

प्रियंका गांधी ने भी व्यक्त किए शोक

प्रियंका गांधी ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि सीताराम येचुरी का निधन हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है. हमारे देश के लिए उनकी वर्षों की सेवा और समर्पण अत्यंत सम्मान के योग्य है. सबसे बढ़कर, वे एक सहज रूप से सभ्य इंसान थे, जिन्होंने राजनीति की कठोर दुनिया में संतुलन और सौम्यता की भावना लाई.

उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके प्रियजनों को इस त्रासदी का सामना करने की शक्ति और साहस मिले.