राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भाषाई संदर्भ विषयक पर आयोजित हुई संगोष्ठी, बोले वक्ता - भाषा से होती है सभ्यता संस्कृति की पहचान...

हिंदी दिवस के अवसर पर डोमरी, रामनगर स्थित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भाषाई संदर्भ" विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भाषाई संदर्भ विषयक पर आयोजित हुई संगोष्ठी, बोले वक्ता - भाषा से होती है सभ्यता संस्कृति की पहचान...

वाराणसी,भदैनी मिरर। हिंदी दिवस के अवसर पर डोमरी, रामनगर स्थित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय में "राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भाषाई संदर्भ" विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं वक्ता वसंत कन्या महाविद्यालय राजघाट की पूर्व आचार्य, प्रो. शशिकला त्रिपाठी, संगोष्ठी की अध्यक्ष प्रो. कल्पलता पांडेय, पूर्व कुलपति, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया, उत्तर प्रदेश एवं  निदेशिका, मुकुल पांडेय, उप प्रबंधक, बाल विद्यालय माध्यमिक स्कूल, डोमरी, प्राचार्य डॉ. विजय शंकर मिश्र तथा विद्यालय की प्रधानाचार्या नीता त्रिपाठी ने मां सरस्वती के प्रतिमा पर व आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्वलित कर किया।

विद्यालय की प्रधानाचार्या नीता त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया। कार्यक्रम की अध्यक्ष ने मुख्य अतिथि को तुलसी का पौधा तथा अंग वस्त्र भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रो. शशिकला त्रिपाठी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के दिन को चिन्हित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि एक भाषा मरने से उस भाषा को बोलने वालों की सभ्यता, संस्कृति आदि समाप्त हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में भाषा का महत्व और बढ़ जाता है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भली-भांति स्वीकार किया है। 

महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. अभिजीत एवं विद्यालय की शिक्षिका अनीता पांडेय ने भी हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. कल्पलता पांडेय ने संगोष्ठी में उपस्थित लोगों को हिंदी भाषा के बारे में अनेक जानकारियां दी।

 विद्यालय के उप प्रबंधक मुकुल पांडेय ने हिंदी भाषा पर बोलते हुए अपने नाना जी, पंडित आचार्य सीताराम चतुर्वेदी जी को याद किया जो हिंदी के बहुत बड़े प्रकांड विद्वान थे तथा जिन्होंने सैकड़ो पुस्तके लिखी हैं।  इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा महाविद्यालय में हुए हिंदी निबंध प्रतियोगिता तथा चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्राओं को पुरस्कृत किया। बाल विद्यालय में हुई वाद-विवाद प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को भी सम्मानित किया। प्राचार्य डॉ. विजय शंकर मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी का संचालन महाविद्यालय की शिक्षिका सुरभि पांडेय ने किया। संगोष्ठी में महाविद्यालय तथा विद्यालय के शिक्षक शिक्षिका व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।