संस्कृत के विद्वान पद्मश्री प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल का निधन, विद्वत समाज में शोक की लहर...
संस्कृत के विद्वान पद्मश्री प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल का निधन हो गया है. यह खबर मिलते ही काशी के विद्वत समाज में शोक की लहर दौड़ गई है.
वाराणसी,भदैनी मिरर। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल नहीं रहे. 91 वर्ष की आयु में उनकी लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निजी अस्पताल में निधन हो गया. 2 दिन पहले उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद भर्ती करवाया गया था. उनके निधन की सूचना मिलने के बाद वाराणसी समेत पूरे उत्तर प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है. संस्कृत और वेद वेदांग के मर्मज्ञ प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को 2021 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था.
उनके निधन की सूचना मिलते ही शंकुलधारा स्थित उनके आवास पर विद्वानों, छात्रों और उनके शुभचिंतकों का तांता लग गया है.
अंतिम क्षण तक देते रहे युवाओं को संस्कृत की निःशुल्क शिक्षा
प्रो. रामयत्न शुक्ल का जन्म भदोही जिले के एक गांव में 1932 में हुआ था. उनके पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पंडित रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की. प्रो. शुक्ल बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य पद पर कार्य कर चुके थे. वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय में भी व्याकरण विभाग के आचार्य व अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके थे. वे अंतिम समय तक संस्कृत की अप्रतिम सेवा कर रहे थे. वे अष्टाध्यायी की वीडियो रिकार्डिंग कराकर नई पीढ़ी को संस्कृत का ज्ञान देने का लगातार प्रयास करते रहे. इसके लिए उन्हें 2015 में संस्कृत भाषा का शीर्ष सम्मान विश्व भारती भी प्रदान किया जा चुका था. वे संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अंत समय तक युवा स्नातकों को निशुल्क संस्कृत शिक्षा देते रहे.