STF ने 3 ठगों को दबोचा: 7 लाख में UP और झारखंड में सरकारी नौकरी का देते थे लालच, 2 सालों में फैला लिया था नेटवर्क...
STF caught 3 thugs.They used to give greed for government jobs in UP and Jharkhand for 7 lakhs. The network was spread in 2 years. दो वर्ष से ठगी करने वाला यह गिरोह लड़के और लड़कियों को गुमराह करके नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते थे।
वाराणसी, भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, पुलिस, खाद्य निगम, फारेस्ट गार्ड, और आर्मी के जीडी पद पर सरकारी नौकरी दिलाने वाले गिरोह के सरगना समेत 3 लोगों को गिरफ्तार कर स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की वाराणसी यूनिट ने भंडाफोड़ किया है। तीनों के पास से दोनों राज्यों के कूटरचित वैरिफिकेशन पत्र, कागजात और मुहर बरामद हुई है। एसटीएफ इंस्पेक्टर पुनीत परिहार की टीम ने कैंट के जेएचवी मॉल से गिरफ्तार कर कैंट थाने में तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाकर स्थानीय पुलिस को सौंप दिया।
60-70 लाख रुपये की कर चुके है ठगी
एसटीएफ लखनऊ को यह सूचना मिल रही थी की एक गैंग जो युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लगातार ठगी कर रहे है, वह वाराणसी में सक्रिय है। शनिवार को सूत्रों से जानकारी हासिल हुई की गैंग का सरगना बरवारति पट्टी भीमपुरा जनपद बलिया निवासी नीलेश सिंह उर्फ छोटू उर्फ अभिषेक अपने सहयोगियों प्रदीप कुमार सिंह निवासी परसपुर थाना मधुबन जनपद मऊ और अजय प्रताप सिंह निवासी रानेपुर थाना सकलडीहा जनपद चंदौली कुछ लड़कों को ठगने के लिए जेएचवी मॉल के पास मौजूद है। सूचना पर जाल फैलाते हुए एसटीएफ ने गिरफ्तार किया। पूछताछ में तीनों ने स्वीकार किया कि वह करीब अब तक 60 से 70 लाख रुपये की ठगी कर चुके है। इन पैसों को वह कपड़े की दुकान, हारवेस्टर मशीन और ज्वेलरी की खरीददारी में निवेश करते थे।
ऐसे दिलाते थे अभिभावकों को भरोसा
ठगी करने वाले पकड़े गए तीनों ने पुलिस पूछताछ में यह स्वीकार किया कि इनका एक संगठित गिरोह है और यह वर्ष 2019 से सक्रिय हैं। ये लोग इण्टरनेट पर सरकारी नौकरी की वेबसाइट चेक किया करते है। निलेश ने बताया कि मैं पिछले दो-तीन वर्ष से नौकरी का लालच देकर बेराजगार लड़के और लड़कियों को फंसाकर विभिन्न विभागों के कूटरचित जाली नियुक्ति पत्र बनाकर देता था, इस कार्य के एवज में उनके अभिभावकों से 7-7 लाख रूपये लेते थे। निलेश ने बताया कि इसमें मेरे साथ कई लोग मिलकर कार्य करते है। इस क्षेत्र में मेरे साथ अजय और प्रदीप नौकरी दिलाने के नाम पर लड़के और लड़कियों के अभिभावकों से अपने मोबाईल फोन से मेरी बात कराते थे। इसके बाद जिनका पैसा मिलता था, उनके कूटरचित नियुक्ति पत्र पोस्ट आफिस या स्वंय तथा अपने झारखण्ड के सहयोगियों चन्द्रभूषण यादव मूल निवासी सिकन्दरपुर बलिया और महतो के माध्यम से फर्जी नियुक्ति पत्र तथा पुलिस वेरिफिकेशन के कागजात डाक से उनके पते पर भेज देते थे। निलेश द्वारा लडके और लडकियों के अभिभावकों से कहा जाता था कि थाने पर जाकर भेजे गये वेरिफिकेशन पत्र को सत्यापित कराकर भेज दो। इस पर उन्हे विश्वास हो जाता था कि मेरी नौकरी लग गयी है। इसी प्रकार निलेश और उसके सहयोगियों ने अनेक लोगों को ठगा।