गुरु कृपा से ही कलाकार को मिलता है मंच और गुरु-शिष्य परंपरा से ही निखरती है साधना: मालिनी अवस्थी
It is only by Guru's grace that the artist gets the stage and the spiritual practice flourishes only through the Guru-disciple tradition: Malini Awasthi
वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री संकटमोचन संगीत समारोह की छठवीं और आखिर निशा में हाजिरी लगाए पहुंची लोकप्रिय ख्यात गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी 'भदैनी मिरर' से मुखातिब थी। उन्होंने कहा की हम पुराने लोग पुरानी चीजों को ही संरक्षित कर रहे हैं। पुराने संगीत को ही हम प्रकाश में लाएं वही हमारे लिए नया है।
शास्त्रीय संगीत की बात करते हुए उन्होंने कहा कि नाम से ही साफ है कि शस्त्र की साधना करनी पड़ेगी। शास्त्रीय संगीत में जिसकी साधना मजबूत होगी वह उतना जल्द ख्याति पायेगा। जोर देते हुए कहा कि गुरु कृपा से ही नवीन कलाकारों को बड़ा मंच मिलता है और उसकी गरिमा बनाएं रखना एक कलाकार का दायित्व है। इस दायित्व का निर्वहन तभी संभव है जब आपके अंदर समर्पण की भावना हो। उन्होंने कहा यह सुखद है कि वाराणसी के करीब 50 युवा कलाकार गायन-वादन-नृत्य में पूरे विश्व में ख्याति बटोर रहे है।
उन्होंने एक सवाल के जबाब में जोर देते हुए कहा तकनीक की सकारात्मकता संगीत क्षेत्र में बहुत है। आज युवा अलग-अलग गुरुओं के टिप्स आसानी से यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर देख और सुनकर अपना भविष्य संवार सकते है। मगर याद रहे साधना तो गुरु-शिष्य परंपरा से ही निखरेगी। उन्होंने अपनी गुरु ख्यात ठुमरी गायिका गिरिजा देवी की जिक्र करते हुए कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन करते आये है।