संकटमोचन दरबार और मालवीय जी को भूल गईं प्रियंका, सत्ता में वापसी के लिए हनुमत दरबार पहुंची थी इंदिरा गांधी
वाराणसी,भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह प्रियंका गांधी आक्रामक और सक्रिय हैं उससे कांग्रेस के नेताओं को नई ऊर्जा मिल रही है। प्रियंका गांधी को पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रुप में देख रहे है। रविवार को प्रियंका गांधी वाराणसी दौरे में लगभग वह उसी तरह दिखी जैसे इंदिरा गांधी चुनावी यात्राओं में दिखती थी।
इंदिरा गांधी का सबसे चर्चित अंदाज था वह अपने प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए भीड़ में चली जाती थी और लोगों से अपनत्व का भाव रखती थी, ठीक वही अंदाज प्रियंका का रविवार को दिखा। युवा कार्यकर्ताओं को देखकर कोइराजपुर के समीप काफिला रूकवाया और उनका उत्साह बढ़ाया। इतना ही नहीं माता कुष्मांडा मंदिर की परिक्रमा करते वक्त उन्होंने ड्यूटी में तैनात महिला पुलिसकर्मी को गले लगाकर महिलाओं के प्रति अपना प्रेम जाहिर कर दिया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मन्दिर, माता कुष्मांडा देवी दरबार में पहुंचकर माथे पर चंदन-टीका, चुनावी मंच से देवी स्तुति और फिर विपक्षियों पर करारा प्रहार बरबस ही लोगों को इंदिरा गांधी की याद दिला दिया।
प्रियंका दादी के नक्शे कदम पर चली तो जरुर लेकिन वह दो जगह चूक गई। करीब छह विधानसभा से गुजरते हुए प्रियंका गांधी को श्री संकटमोचन दरबार और भारतरत्न पंडित मदनमोहन मालवीय जी को भूल गई। किसी भी संगठन को मजबूती युवाओं से मिलती है। यदि प्रियंका गांधी अपने काफिले को रोककर 2 मिनट पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी होती तो निश्चित तौर पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई में जान फूंकने के लिए वह पर्याप्त होता।
याद रहें कि देश में वर्ष 1975 में 25-26 जून की रात आपातकाल लगाने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। पूजा-पाठ में रुचि रखने वाली इंदिरा गांधी उसके बाद अगले वर्ष 1976 में वाराणसी आई तो श्री संकटमोचन दरबार पहुंची। उस वक्त संकटमोचन दरबार में संगीत समारोह चल रहा था और मंच से कंकना बनर्जी हनुमत लला को स्वरांजलि अर्पित कर रही थी। मन्दिर से जुड़े पुरनिये लोग बताते है कि तब सत्ता में वापसी के लिए उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना कर चरणों में पूजन करवाया था। अगला विधानसभा चुनाव वर्ष 1980 में हुआ तो इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विजय पताका लहराई। इस चुनाव में 43 प्रतिशत वोट के साथ 353 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। जीत के बाद फिर दुबारा इंदिरा गांधी संकटमोचन मंदिर पहुंची थी। राजनैतिक पंडितों का कहना है कि प्रियंका गांधी यदि यह चूक न करती तो उनकी रैली और भी ऐतिहासिक हो सकती थी। हालांकि इन सबके लिए स्थानीय स्तर पर पार्टी के नेताओं को अंतर्कलह और व्यक्तिगत द्वेष से ऊपर उठकर काम करते हुए बड़े नेताओं के कार्यक्रम बनाने पड़ेंगे।