ओपी राजभर ने पार्टी वेबसाइट के लिए पैसे पूर्व प्रवक्ता से लिए, शशिप्रताप बोले कौन पूछता था सुभासपा को? 

ओमप्रकाश राजभर के हितैषी रहे शशिप्रताप इन दिनों ओमप्रकाश की पोल पट्टी खोल रहे है. पहले बीजेपी और फिर अब समाजवादी पार्टी से खटास होने के बाद लगातार ओपी राजभर को लेकर चर्चाएं चल रही है. 

ओपी राजभर ने पार्टी वेबसाइट के लिए पैसे पूर्व प्रवक्ता से लिए, शशिप्रताप बोले कौन पूछता था सुभासपा को? 
राष्ट्रीय समता पार्टी के संरक्षक शशिप्रताप सिंह।

वाराणसी,भदैनी मिरर। लगातार दल बदलने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और पूर्व प्रवक्ता व राष्ट्रीय समता पार्टी के संस्थापक शशिप्रताप सिंह के बीच जमकर रार छिड़ी हुई है. कभी ओमप्रकाश राजभर के हितैषी रहे शशिप्रताप इन दिनों ओमप्रकाश की पोल पट्टी खोल रहे है. पहले बीजेपी और फिर अब समाजवादी पार्टी से खटास होने के बाद लगातार ओपी राजभर को लेकर चर्चाएं चल रही है. 

दावा ओपी राजभर को मैंने मीडिया में सुर्खियों में लाया

लखनऊ में ओमप्रकाश राजभर ने अपने बयान में कहा की शशिप्रताप सिंह मीडिया में छाए रहने के लिए मेरा नाम लेता है, इस पर शशिप्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कहा की मुझे चैनलों में आने के लिए किसी के नाम की कोई जरूरत नहीं. मैं आज जो भी हूं अपनी मेहनत और ईमानदारी के कारण हूं न की ओमप्रकाश राजभर के कारण. उन्होंने कहा कि एक समय था जब सुभासपा को कोई नही जानता था तब मैने ही ओमप्रकाश राजभर को वाराणसी से लखनऊ तक समाचार पत्रों में छपवाने का कार्य किया था. उनके पार्टी की जो वेबसाइट चल रही वो भी मैंने ही अपने पैसे से बनवाई थी.

धोखेबाजी की पराकाष्ठा है ओपी राजभर

शशिप्रताप सिंह ने कहा कि धोखेबाजी की पराकाष्ठा अगर कोई है तो उसका नाम ओमप्रकाश राजभर है. जिन्होंने अपने राजनीतिक मुकाम के लिये पहले बसपा, कांग्रेस, अपनादल, पीस पार्टी, कौमी एकता दल, भाजपा जैसे तमाम दलों को धोखा दिया. उन्होंने सबसे भरोसेमंद पार्टी समाजवादी को भी नही छोड़ा वह बिना पेंदी का लोटा है. उनका नाम सबसे झूठे और धोखेबाज के रुप में  सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा. भाजपा को ही गाली देकर गए अपने समाज के लोगो से और पार्टी के लोगों से गाली दिलवाया और फिर उसी भाजपा की गोद में जाकर बैठ गए हैं. कोई कैसे इस व्यक्ति पर भरोसा करे. राजनीति को शर्मसार करने वाले का नाम लेना भी पाप है. शशिप्रताप ने आरोप लगाया की ओपी राजभर अपने अभद्र टिप्पणी से विधानसभा चुनाव में अखिलेश को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया.

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