15 तस्वीरों में लोकार्पण: सूर्योपासना के बाद PM ने किया बाबा विश्वनाथ का अभिषेक, काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पित कर जनता से लिये 3 वायदे...
Launched in 15 pictures After Suryapasana PM did the Abhishek of Baba Vishwanath15 तस्वीरों में लोकार्पण: सूर्योपासना के बाद PM ने किया बाबा विश्वनाथ का अभिषेक, काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पित कर जनता से लिये 3 वायदे...
वाराणसी,भदैनी मिरर। 33 महीने में 700 करोड़ की लागत से तैयार हुए पीएम व काशी के सांसद नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण रेवती नक्षत्र में हुआ।वहीं वाराणसी पहुंचते ही पीएम मोदी ने सबसे पहले काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की।
बता दें की पीएम मोदी के शेड्यूल में थोड़ा परिवर्तन किया गया। वह12 बजे काल भैरव मंंदिर जाने वाले थे लेकिन बाद में पहले काल भैरव मंंदिर जाने का कार्यक्रम बना। काशी में मान्यता है कि काशी के कोतवाल की इजाजत लेकर कोई भी शुभ काम करना चाहिए। इससे उस काम में कोई भी विघ्न-बाधा नहीं पहुंंचती। इसी मान्यतानुसार पीएम पहले काल भैरव मंदिर पहुंचे। इस पावन पर्व पर पूरे वाराणसी को किसी दुल्हन की तरह सजाया गया है। इसके बाद क्रूज से ललिता घाट पहुंचकर पीएम मोदी ने गंगा में डुबकी लगाई।
आमजन के लिए लाइव प्रसारण की व्यवस्था
लोकार्पण समारोह के लिए पूरे देश मे लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई है। इसी के तहत काशी में भी जगह-जगह लाइव प्रसारण किया जा रहा है। भोलेनाथ की नगरी काशी में लोग सड़कों पर खड़े होकर लोकार्पण समारोह को टीवी पर देख रहे हैं। साथ हर-हर महादेव और बम-बम भोले के उद्घोष से गूंज पूरी काशी गुंजायमान हो रही है।
बाबा के पूजन के साथ किया पौधरोपण
ललिता घाट से स्नान कर हाथों में गंगाजल लिए पीएम सीधे धाम पहुँचे। जहां बाबा के जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक के साथ उन्होंने बाबा का विधिवत पूजन-अर्चन किया। पूजन अर्चन के बाद पीएम ने मंदिर परिसर में पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया।
मजदूरों पर की पुष्पवर्षा
बाबा के गर्भगृह में पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी सीधे उन मजदूरों के बीच पहुंचे जिन्होंने दिन-रात मेेेहनत कर बाबा के धाम को तैयार किया। पीएम ने मजदूरों के सम्मान में उनपर फूल बरसाए और वहां अपने लिए रखी कुर्सी हटवाकर मजदूरों के बीच ही बैठकर उनके साथ फोटो खिंचवाई। इस दौरान बीच-बीच मे पीएम ने मजदूरों से बात भी की।
सीएम ने पीएम का किया स्वागत
पीएम के मंचासीन होने के बाद सीएम ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें स्मृतिचिन्ह और अंगवस्त्रम भेंट किया। इसके बाद उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि हम सबका सौभाग्य है कि बाबा विश्वनाथ का धाम आज नए रूप में नए कलेवर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पीड़ा को दूर करने का भी काम किया है। गांधी जी के नाम पर बहुत से लोगों ने राजनीति की होगी लेकिन गांधी जी के सपने को अगर किसी ने सच किया तो हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने।
कुछ नए के लिए बाबा कालभैरव से पूछना जरूरी
सीएम के सम्बोधन के बाद पीएम ने शिलापट्ट का अनावरण कर धाम के लोकार्पण के साथ ही उसे बाबा के श्रद्धालुओं को समर्पित किया। इसके बाद उन्होंनेपीएम मोदी ने किया विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण कर दिया है। हर-हर-महादेव, हर-हर-महादेव, नमः पार्वती पतये हर हर महादेव के साथ पीएम मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया। संतों, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, अन्य राज्यों से आए नेताओं के साथ ही देश के लोगों को पीएम ने धन्यवाद दिया।उन्होंने कहा कि काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो काशी के कोतवाल काल भैरव से पूछना जरूरी है। हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। अभी मैं बाबा के साथ साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूँ, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूँ। काशी में कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है।वमैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।
यह प्रतीक है सनातन संस्कृति, प्राचीनता, ऊर्जा, परंपरा और गतिशीलता का
पीएम ने कहा कि आज शिव जी का प्रिय दिवस सोमवार है। आज की तिथि मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी, विक्रम संवत् 2078 नया इतिहास रच रही है और हम इसके साक्षी बन रहे हैं। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहाँ आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है। जब भी कोई शुभ अवसर होता है सारी शक्तियां, देवियां काशी में उपस्थित हो जाती हैं। यहां आसपास जो अति प्राचीन मंदिर विलुप्त हो गए थे उन्हें भी पुनर्स्थापित कर दिया गया है। विश्वनाथ धाम का यह पूरा परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। यह प्रतीक है हमारी सनातन संस्कृति, प्राचीनता, ऊर्जा, परंपरा और गतिशीलता का। जब आप यहां आएंगे तो आस्था और अतीत के गौरव का अहसास भी होगा ।
आ सकते हैं 70 हजार श्रद्धालु
पीएम ने कहा कि बाबा विश्वनाथ सबके हैं, मां गंगा सबकी है। उनका आशीर्वाद सबके लिए है लेकिन समय और परिस्थिति के चलते यहां आना दुर्गम हो गया था, लेकिन अब यहां पहुंचना सुगम हो गया है। पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल 3000 वर्ग फीट में था वो अब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब यहां 70 हजार तक श्रृद्धालु आ सकते है। जब मैं बनारस आया था तब एक विश्वास लेकर आया था, विश्वास अपने से ज्यादा बनारस के लोगों पर था। तब कुछ ऐसे लोग भी थे जो बनारस के लोगों पर संदेह करते थे कि कैसे होगा, नहीं होगा, ये मोदी जी जैसे बहुत आकर गए। मुझे बहुत आश्चर्य होता था, लेकिन ये जड़ता बनारस की नहीं थी, वो राजनीति थी। लेकिन काशी तो, काशी है। काशी तो अविनाशी है।
काशी में एक ही सरकार है, डमरूवाले की
पीएम ने बाबा को धाम कार्य का श्रेय देते हुए कहा कि काशी में एक ही सरकार है। जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को भला कौन रोक सकता है। शिव ने स्वयं कहा है कि मेरी इच्छा के बिना यहां कौन आ सकता है। काशी में जो कुछ भी होता है महादेव की इच्छा से हुआ है, जो भी हुआ है महादेव ने ही किया है। इसके लिए बाबा के अलावा किसी का श्रेय है तो वह हम गणों का है, जो हम सब काशीवासी है।
मजदूरों का किया धन्यवाद
पीएम ने कॉरिडोर के कार्य मे दिन रात लगे मजदूरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि जिनका पसीना इस भव्य भवन के निर्माण में बहा है और कोरोना काल में भी उन्होंने यहां का काम रुकने नहीं दिया। मुझे उनका आशीर्वाद लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
बनारसी अन्दाज में नवाया बाबा के चरणों में शीश
पीएम ने कहा कि यहां का हर पत्थर शंकर है, इसलिए हम अपनी काशी को सजीव मानते हैं। इसलिए देश के कण-कण में हमें मातृत्व के भाव की अनुभूति होती है। बनारस वो नगर है जहां जगतगुरु शंकराचार्य को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने देश को एक सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। काशी के सब बंधुअन के साथ बाबा विश्वनाथ के चरणन में हम शीश नवावत हईं। मां अन्नपूर्णा के चरणन क बार-बार वंदन करअत हईं। ये काशी अहिंसा और तप की प्रतिमूर्ति और चार जैन तीर्थों की भी भूमि है। ये काशी अहिंसा और तप की प्रतिमूर्ति और चार जैन तीर्थों की भी भूमि है।
काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है।जिस तरह काशी अनंत है वैसे ही काशी का योगदान भी अनंत है। हर मत-मतांतर के लोग, हर भाषा वर्ग के लोग यहां आते हैं और यहां से अपना जुड़ाव महसूस करते हैं। काशी भारत की आत्मा का एक जीवंत अवतार भी है। काशी में मंदिर तोड़ा गया तो महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका निर्माण करवाया, मैं उन्हें नमन करता हूं। महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद काशी के लिए इतना काम अब हुआ है। महाराजा रंजीत सिंह जी ने मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़वाया था। काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है! काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है! काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है! काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है।भारत के हजारों सालों की उर्जा ऐसे ही तो सुरक्षित रही है, जब अलग-अलग स्थानों के सूत्र से जुड़ते हैं जो एक राष्ट्र श्रेष्ठ राष्ट्र की अनुभूति होती है।
काशी ने जब भी करवट ली है तो देश का भाग्य भी बदला है
ये सिर्फ संयोग नहीं है कि काशी ने जब भी करवट ली है तो देश का भाग्य भी बदला है काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देश को उज्जवल भविष्य की ओर ले जाएगा। ये परिसर हमारे सामर्थ्य और कर्तव्य का साक्षी है। अगर कुछ सोच लिया जाए और ठान लिया जाए तो असंभव कुछ भी नहीं है। हम भारतीयों की भुजाओं में अनंत उर्जा व बल है।विनाश करने वालों की शक्ति, भारत की शक्ति से बड़ी नहीं हो सकती है। सदियों की गुलामी ने हम पर जो प्रभाव डाला था, जिस हीन भावना से भारत को भर दिया गया था, ये भारत उससे बाहर निकल चुका है।
फिर संजो रहा भारत की खोई विरासत
आज का भारत अयोध्या में सिर्फ प्रभु श्री राम का मंदिर ही नहीं बना रहा बल्कि देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है। नए भारत में विरासत भी है और विकास भी है। आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा स्वयं विराजित हैं। मुझे प्रसन्नता है कि यहां से चुराई गई माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा 1000 वर्ष बाद यहां पुनः स्थापित कर दी गई है। मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से कोरोनाकाल में भी देशवासियों को भोजन की कमी नहीं हुई। मेरे लिए जनता जनार्दन और हर भारतवासी ईश्वर का ही रूप है। मैं जब आपको ईश्वर का रूप मानता हूं तो आपसे तीन संकल्प बाबा की पवित्र धरती से मांगता हूं- 1. स्वच्छता
2. सृजन 3. आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास
यहां बनारस में भी शहर और घाटों पर हमें स्वच्छता को एक नए स्तर पर लेकर जाना है। मां गंगा की स्वच्छता के लिए हमें सजग होकर काम करते रहना होगा।
आत्मविश्वास से कीजिए सृजन
गुलामी के लंबे कालखंड में हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा गया कि हम अपने सृजन पर ही विश्वास खो बैठे थे। आज मैं काशी से हर देशवासी का आव्हान करता हूं कि पूरे आत्मविश्वास से सृजन कीजिए। हर भारतवासी जब किसी भी क्षेत्र में, देश के लिए कुछ नया करने का प्रयास करेंगे तब नए मार्ग मिलेंगे और नए मार्ग बनेंगे। और हम हर नई मंजिल पाकर रहेंगे।अमृतकाल में भारत 130 करोड़ भारतीयों के प्रयासों से आगे बढ़ रहा है। बाबा काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से हम आत्मनिर्भर का सपना सच होते देखेंगे। इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मंत्री नीलकंठ तिवारी समेत बड़ी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित रहे।