8वीं बार केरल से जीतकर लोकसभा पहुंचे  के. सुरेश, जानें कौन जिन्हें विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए बनाया उम्मीदवार

लोकसभा में स्पीकर पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है. NDA ने 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को फिर से स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया है. वहीं इसके जवाब में विपक्ष ने सांसद के. सुरेश को उम्मीदवार बनाया है. विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष पद पर आम सहमति के बदले डिप्टी स्पीकर पद की दावेदारी की थी.

8वीं बार केरल से जीतकर लोकसभा पहुंचे  के. सुरेश, जानें कौन जिन्हें विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए बनाया उम्मीदवार

लोकसभा में स्पीकर पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है. NDA ने 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को फिर से स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया है. वहीं इसके जवाब में विपक्ष ने सांसद के. सुरेश को उम्मीदवार बनाया है. विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष पद पर आम सहमति के बदले डिप्टी स्पीकर पद की दावेदारी की थी, लेकिन जब सहमति नहीं बनी, तो पहली बार लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है. आइए जानते हा कि सांसद के. सुरेश कौन है..

जानें कौन है के. सुरेश 

के. सुरेश आठवीं बार केरल से लोकसभा के लिए चुने गए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सीपीएम के अरुण कुमार सीए को 10,868 वोटों से हराया था. जून 1962 में जन्मे के. सुरेश पहली बार 27 साल की उम्र में सांसद चुने गए थ. 1989 में उन्होंने अदूर से जीत हासिल की थी। 1991, 1996, और 1999 में भी अदूर निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर संसद पहुंचे. 1998 और 2004 में वह चुनाव हार गए थे. 2009 में के. सुरेश ने अपना निर्वाचन क्षेत्र बदला और मवेलीकारा से सांसद चुने गए। इसके बाद वे लगातार सभी चुनावों में इस सीट से जीतते रहे.

यूपीए-2 की मनमोहन सिंह सरकार में सुरेश केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रहे. 2024 में जीत के बाद उन्हें कांग्रेस की ओर से लोकसभा में सचेतक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। के. सुरेश केरल कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने संगठन में बड़े पदों पर काम किया है.

बता दें कि, विपक्ष ने केरल के मवेलीकारा संसदीय क्षेत्र से चुने गए के. सुरेश को उम्मीदवार बनाकर इंडिया गठबंधन ने यह संदेश दिया है कि वे हमेशा सरकार से सहमत नहीं होंगे. इससे पहले प्रोटेम स्पीकर पद पर के. सुरेश की दावेदारी पर भी विवाद हुआ था. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आठ बार के सांसद रहे के. सुरेश की अनदेखी कर सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया है. तब बीजेपी ने यह दलील दी थी कि भर्तृहरि महताब लगातार सात बार सांसद बने हैं, जबकि के. सुरेश दो चुनाव हार चुके हैं. इस कारण प्रोटेम स्पीकर के लिए महताब को वरीयता दी गई.