गंगा में प्रवाहित हुई कथक सम्राट की अस्थि कलश, परिजन लेकर पहुंचे थे काशी, प्रशसंकों ने किया अस्थि कलश के अंतिम दर्शन...
Kathak emperor s ashes flowed in the Ganges relatives had reached Kashi withगंगा में प्रवाहित हुई कथक सम्राट की अस्थि कलश, परिजन लेकर पहुंचे थे काशी, प्रशसंकों ने किया अस्थि कलश के अंतिम दर्शन...
वाराणसी, भदैनी मिरर। कथक सम्राट बिरजू महाराज केवल कथक के ही पर्याय नहीं थे। उनके अंदर सभी गुण थे, चाहे गीत हो, संगीत हो, चित्रकला हो, वाद्य हो, साहित्य हो, या फिर कविताएं हो। यह सम्पूर्ण गुण पाना कोई आसान बात नही हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन एक कलाकार के रूप में जिया है और हमे सिखाया है उन्ही के पदचिन्हों पर हम भी चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं।यह बात कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज के बड़े बेटे जय किशन महराज ने आज वाराणसी के अस्सी घाट पर पिता की अस्थि विसर्जित करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि महाराज जी अगले 100 साल तक के लिए कथक की टेक्निक हम लोगों को दे गए। शायद पूर्व जन्म में मैंने कोई बहुत बड़ा पुण्य किया था, जो कि ऐसे पिता का बेटा बना। बता दें कि अस्थि विसर्जन से पहले अस्सी घाट पर अस्थि कलश का वैदिक रीति से पूजन हुआ।
संगीत अकादमी में हुआ अस्थि कलश का दर्शन
विसर्जन से पहले वाराणसी में अस्थि कलश का अंतिम दर्शन हुआ। दर्शन का यह कार्यक्रम कबीरचौरा और सिगरा की कस्तूरबा नगर कॉलोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में हुआ। इसके बाद काशी के कलाकारों और पंडित बिरजू महाराज के प्रशंसकों द्वारा पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद अस्थि कलश अस्सी घाट पर ले आया गया। अस्थि विसर्जन से पहले अस्सी घाट पर अस्थि कलश का वैदिक रीति से पूजन भी हुआ। इस दौरान जय किशन महाराज के साथ उनके बेटा त्रिभुवन और शिष्या शाश्वती सेन के अलावा बनारस घराने के कई कलाकार भी मौजूद थे।
हार्ट अटैक से हुआ था निधन
83 वर्षीय पंडित बिरजू महाराज का निधन हार्ट अटैक की वजह से बीती 16 जनवरी की देर रात हुआ था। पंडित बिरजू महाराज की शिष्या डॉ. संगीता सिन्हा ने बताया कि महराज जी का अस्थि कलश शुक्रवार को लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास यानी बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी में रखा गया था। लखनऊ के कलाकारों और महाराज जी के प्रशंसकों ने अस्थि कलश के दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। इसके बाद परिजन अस्थि कलश लेकर काशी के लिए रवाना हुए और काशी के लिए रवाना हुए और देर रात यहां आ गए थे। अस्थि कलश के साथ पंडित बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पंडित जय किशन महाराज और शिष्या शाश्वती सेन के अलावा परिवार के अन्य लोग भी काशी आए थें
डॉ. संगीता सिन्हा ने बताया कि कबीरचौरा और फिर कस्तूरबा नगर कॉलोनी में महाराज जी को श्रद्धांजलि देने के बाद अस्सी घाट के लिए उनकी अस्थि कलश यात्रा निकली।