काशी मंथन : बोले विजय चौथाईवाले कोरोना काल बदलाव का कारक बनकर उभरा, आर्थिक-राजनीतिक- सामरिक क्षेत्रों पर भी पड़ा प्रभाव...
देश में डेढ़ लाख से ज्यादा और दुनिया भर में 27 लाख से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई। कोरोना का यह काल देश-दुनिया के लिए एक बेहद मुश्किल भरा दौर था। परन्तु इस मुश्किल भरे दौर में भी मानवीय जिजीविषा का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला।
वाराणसी, भदैनी मिरर। दुनिया के इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो इतिहास के कालखंड के विभाजन के रूप में महत्वपूर्ण होती हैं। जैसे विश्वयुद्ध, ठीक उसी प्रकार से तरह कोरोना भी इतिहास के कालखंड के विभाजन के रूप में बेहद महत्वपूर्ण निर्धारण तत्व सिद्ध होने वाला है। हम आने वाले समय में कोरोना पूर्व एवं कोरोना पश्चात दौर की चर्चा करेंगे। कोरोना ने ना सिर्फ समूचे विश्व के स्वास्थ्य जगत पर असर किया है बल्कि यह आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक क्षेत्रों में भी बदलाव का बड़ा कारक बनकर उभरा है। उक्त बातें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकुल सभागार में काशी मंथन की ओर से “कोरोना पश्चात् दुनिया में भारत के लिए चुनौतियाँ एवं संभावनाएं” विषयक व्याख्यान के दौरान बतौर मुख्य वक्ता विदेश मामलों के जानकार एवं नीति आयोग तथा अटल इनोवेशन मिशन के बोर्ड मेम्बर डॉ. विजय चौथाईवाले ने कही। उन्होंने कहा कि अभी हम इसके प्रभाव काल से ही गुज़र रहे हैं। जब यह महामारी वास्तव में ख़त्म हो जाएगी, तब हमें इसके कारण हुए बदलावों की वास्तविक स्थिति का आंकलन हो पायेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना ने वैश्विक राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाला है। ट्रम्प की राष्ट्रपति पद से विदाई के कारणों में कोरोना से उभरी परिस्थितियों को सही तरह से नहीं संभाल पाना एक बड़ा कारण है। हालाँकि कोरोना के इस परिदृश्य में भारत के पास अवसर भी उभरे हैं, हाल ही में चीन के खिलाफ अघोषित रूप से अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने क्वाड के रूप में ऑनलाइन सम्मेलन किया।
डॉ. विजय चौथाईवाले ने कहा कि हम पिछले मार्च तक देश में एक भी पीपीई किट निर्माण नहीं करते थे वही हम इसके बड़े निर्यातक बनकर उभरे। कोरोना काल के दौरान हमने बड़े पैमाने पर दवाइयों का निर्यात किया जिनमें हाइड्रओक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटेमोल का बड़े पैमाने पर निर्यात्त हुआ। इसके साथ ही साथ कोरोना के वैक्सीन निर्माण के पश्चात भारत इसका भी बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। देश में दो वैक्सीन का उत्पादन हो रहा है। जिसका छह हफ़्तों में साठ से भी ज्यादा देशों को छह करोड़ डोजों का निर्यात किया जा चुका है। इसके पूर्व स्वागत उद्बोधन एवं विषय के बारे में बताते हुए डॉ. मयंक नारायण सिंह ने कहा कि कोरोना ने हम सभी के जीवन पर बहुत असर डाला है। देश में डेढ़ लाख से ज्यादा और दुनिया भर में 27 लाख से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई। कोरोना का यह काल देश-दुनिया के लिए एक बेहद मुश्किल भरा दौर था। परन्तु इस मुश्किल भरे दौर में भी मानवीय जिजीविषा का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। इस दौरान छात्र अधिष्ठाता प्रो. एम. के. सिंह, प्रो. आर. एन. राय ने मुख्य वक्ता को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उनके साथ उपस्थित उनकी पत्नी डॉ. ज्योति चौथाईवाले को भी अंगवस्त्र ओढाकर छात्रा अदिति सिंह ने सम्मानित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन चंद्राली मुख़र्जी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन खुशबू मिश्र ने किया।