दीपावली पर 6 गुना प्रदूषित हुई काशी की आबोहवा, काशी के 12 स्थानों में इंग्लिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर बने गैस चेंबर...
वाराणसी की आबोहवा दीपावली पर 6 गुना बिगड़ गई है. इसके लिए मुख्य जिम्मेदार खतरनाक पटाखे है. काशी के 12 स्थानों की निगरानी में इंग्लिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर सबसे प्रदूषित रहे तो वहीं, सिगरा और महमूरगंज तुलनात्मक रुप से साफ रहे.
वाराणसी, भदैनी मिरर। क्लाइमेट एजेंडा ने दीपावली पर वायु प्रदूषण को लेकर लगातार सातवें वर्ष अपना बुधवार को रिपोर्ट जारी कर दिया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, बनारस में ग्रीन पटाखे और जिला प्रशासन की ओर से हुई अपील इस बार पुनः बेअसर साबित हुई. रिपोर्ट में बताया गया है की रात्रि दस बजे के बाद पूर्ण रूप से पटाखा प्रतिबन्ध के लिए जारी आदेश को ताक पर रखते हुए काशीवासियों ने जहां एक तरफ जम कर पटाखे बजाये, वहीं दूसरी ओर इन पटाखों से शहर में वायु गुणवत्ता का स्तर भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) दोनों के ही मानकों की तुलना में काफी खराब हो गया.
क्लाइमेट एजेंडा संस्था की ओर से शहर के 12 विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीने लगा कर दिवाली की अगली सुबह 3 बजे से 8 बजे तक यह आंकड़े एकत्र किये गए. प्राप्त आंकड़ों के बारे में मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “शहर में पी एम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. इंगलिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहे जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन की तुलना में 6 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार द्वारा घोषित मानकों की तुलना में उपरोक्त तीनों स्थान तीन गुणा अधिक प्रदूषित पाए गये. लहुराबीर, आशापुर और मैदागिन क्षेत्र भी कमोबेश एक जैसे ही पाए गये. जहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक WHO के मानकों की तुलना में लगभग 5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार के मानकों की तुलना में 2.5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा. तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो सिगरा और महमूरगंज साफ रहा.
ज्ञात हो कि डब्ल्यू एच ओ के मानको के अनुसार जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर जाए तो हवा को प्रदूषित मानते हैं, जबकि भारत सरकार के द्वारा तय मानकों के अनुसार जब यह आंकड़ा 100 के पार पहुंचे तब शहर को प्रदूषित माना जाता है. लम्बे समय से डब्ल्यू एच ओ का यह आग्रह है कि वैश्विक स्तर पर जन स्वास्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी देश उनके द्वारा घोषित मानदंड का ही अनुपालन सुनिश्चित करें.
हालांकि, दिवाली के समय खराब हुई आबोहवा के लिये पटाखों के साथ साथ शहर की बेहद खराब कचरा प्रबंधन व्यवस्था भी जिम्मेदार है. शहर के विभिन्न इलाकों में दिवाली के समय हुई घरों की साफ़ सफाई के बाद कचरे का जलाया जाना भी वायु प्रदूषण को काफी हद तक बढाता है. क्लाइमेट एजेंडा ने हमेशा यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि प्रदूषण नियंत्रण किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं हो सकती, बल्कि नगर निगम, परिवहन, पी डब्ल्यू डी समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आम नागरिकों को अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने से ही प्रदूषण नियंत्रण संभव हो सकेगा. यह रिपोर्ट संस्था की सानिया अनवर ने जारी की है.