2 सप्ताह में सौपें रिपोर्ट: थाने से गायब BHU छात्र प्रकरण में हाईकोर्ट सख्त, 18 अप्रैल को अगली सुनवाई...
Report handed over in 2 weeks. High court strict in BHU student case missing from police station, next hearing on April 18. वाराणसी कमिश्नरेट के लंका थाने से पुलिस अभिरक्षा से गायब काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में हाईकोर्ट सख्त रुख अपना ली है. कोर्ट ने सीबीसीआईडी के अब तक हुई जांच रिपोर्ट को 2 हफ्ते में पेश करने का आदेश दिया है.
प्रयागराज/वाराणसी। पुलिस कमीश्नरेट वाराणसी के लंका थानें में पुलिस अभिरक्षा से वर्ष 2020 के 13 फरवरी से गायब बीएचयू छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष मंगलवार (22 मार्च) को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट बेहद सख्त नजर आयी। हाईकोर्ट नें दो हफ्ते के अंदर गायब छात्र के मामले में जाँच रिपोर्ट पेश करनें को कहा और मामले की अगली सुनवाई की तारीख आगामी 18 अप्रैल मुकर्रर किया।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील (अपर शासकीय अधिवक्ता) से जब मामले में सीबीसीआईडी द्वारा अबतक की गयी जाँच रिपोर्ट माँगा तो अपर शासकीय अधिवक्ता (AGA) निरुत्तर रहे। वहीं मामले में याचिकाकर्ता सह अधिवक्ता (पेटीशनर-इन-पर्सन) सौरभ तिवारी नें सीबीसीआईडी (क्राइम ब्रांच-क्रिमिनल इन्वेटीगेशन डिपार्टमेंट) द्वारा जाँच में की जा रही अनावश्यक देरी पर सवाल उठाया। और हाईकोर्ट के समक्ष कहा की पुलिस शुरु से लंका थानें की सीसीटीवी कैमरा खराब होनें की बात कहती रही है। वहीं सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत यह निकलकर आया है की लंका थानें में 13 व 14 फरवरी 2020 को थानें के तीनों सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील अवस्था में थे। जिस पर सरकार के तरफ से कहा गया कि बीएचयू छात्र मानसिक विक्षिप्त अवस्था में था।इस पर हाईकोर्ट नें कहा कि यह सब नहीं चलेगा आपको सारे पहलूओं सीसीटीवी फुटेज पर भी जबाब देना होगा ।
गौरतलब है कि 13 फरवरी 2020 को बीएचयू बीएससी तृतीय वर्ष का छात्र शिव कुमार त्रिवेदी को डायल-112 पुलिस पेट्रोलिंग टीम द्वारा बीएचयू कैंपस से लाकर लंका थानें में सुपुर्द किया गया था। लेकिन शिव कुमार त्रिवेदी रहस्यमयी ढंग से थानें से गायब हो गया। मामले में 19 अगस्त 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए , मामले में जनहित याचिका दर्ज किया था। मामले में तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी समेत जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को हाईकोर्ट में हाजिर होना पड़ा। राज्य सरकार द्वारा 29 अक्टूबर 2020 को मामले की जाँच सीबीसीआईडी ( CBCID) को सौंपा गया था।