चैत्र नवरात्र : द्वितीया तिथि को भक्तों ने मां ब्रह्मचारिणी के चरणों में नवाया शीश

चैत्र नवरात्र : द्वितीया तिथि को भक्तों ने मां ब्रह्मचारिणी के चरणों में नवाया शीश

वाराणसी/भदैनी मिरर।  शक्ति की आराधना के महापर्व चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन-पूजन का महात्म्य है। भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या। तप का आचरण करने वाली भगवती जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। वेदस्तत्वंतपो ब्रह्म, वेद, तत्व और ताप ब्रह्मा अर्थ है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है। माँ के इस स्वरुप की आराधन करने पर शक्ति ,त्याग ,सदाचार ,सयम , और वैराग में वृद्धि होती है ।  दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है।  

  
 माँ ब्रह्मचारिणी को ब्रहमा की बेटी कहा जाता है क्यों की ब्रहमा के तेज से ही उनकी उत्पत्ति हुई है ।माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरुप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है । काशी में मां का मंदिर चौक क्षेत्र के पंचगंगा घाट पर स्थित है। जहाँ सुबह स ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ने कोरोना काल के नियमों का पालन करते हुए माँ का नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि का प्रसाद चढ़ाकर पूजन-अर्चन किया। 

वहीं मंदिर परिसर में मास्क लगाकर व सेनिटाइजेशन के बाद भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा था। सुरक्षा के मद्देनजर क्षेत्र में भारी फोर्स भी तैनात रही।