कोरोना का प्रकोप: दूसरे वर्ष भी स्थगित हुई विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला, नहीं होगा त्रेतायुग का एहसास

कोरोना का प्रकोप: दूसरे वर्ष भी स्थगित हुई विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला, नहीं होगा त्रेतायुग का एहसास

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी में गंगा पार इस बार भी रामनगर त्रेतायुग का एहसास नहीं कराएगा। कोरोना संक्रमण के चलते विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला को दूसरे वर्ष भी स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है। कोरोना वायरस महामारी चलते इस बार भी वाराणसी में विश्व प्रसिद्घ रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला का मंचन नहीं होगा। 238 साल के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब रामनगर की रामलीला स्थगित रहेगा। ऐतिहासिक रामलीला (Historical Ramleela) का आयोजन बनारस के राज घराने की ओर से होता है। काशीराज परिवार की ओर से महामारी और संक्रमण के फैलाव को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

अब तक बनी असमंजस की स्थिति पर बुधवार को विराम लग गया। काशी नरेश अनंत नारायण सिंह ने रामलीला स्थगित होने की जानकारी स्वयं पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश को दी। आयुक्त को लिखे पत्र में कोरोना महामारी को कारण बताया गया है। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला स्थगित होने से लीलाप्रेमियों में मायूसी है। थाना प्रभारी निरीक्षक अश्विनी पांडेय ने बताया इस बार रामलीला नहीं होने की जानकारी दुर्ग प्रशासन ने आयुक्त को दी। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल भी रामलीला नहीं हुई थी। हालांकि जानकी मंदिर में अनंत चतुर्दशी से लेकर माह पर्यंत रामलीला से संबंधित चौपाइयों का गायन किया गया था।

1783 में हुई थी शुरुआत

1783 से शुरू हुए ऐतिहासिक रामलीला मंचन का अपना एक अलग मकाम है। यह दुनिया की सबसे पुरानी रामलीला (World Oldest Ramleela) है। रामनगर की रामलीला अपनी तरह की अनूठी है जो बिना बिजली की रोशनी और लाउडस्पीकर के बगैर खुले आसमान के नीचे आयोजित होती है। बड़े से बड़ा संकट का समय आया, लेकिन रामनगर की रामलीला का मंचन कभी नहीं रुका। 237 साल से चल रही रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला को देखने के लिये देश ही नहीं दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग आते हैं।