बनारस का फिर बढ़ा मान, 41 साल बाद हॉकी प्लेयर ललित उपाध्याय को अर्जुन अवार्ड...
राष्ट्रपति भवन में महामहिम रामनाथ कोविंद ने जैसे ही अर्जुन अवार्ड काशी के लाल हॉकी प्लेयर ललित उपाध्याय को दिया, तो 41 वर्ष बाद यह इतिहास दुहराया गया।
वाराणसी,भदैनी मिरर। खेलों के सर्वोच्च सम्मान में शनिवार को उस समय वाराणसी जिले का नाम चमक उठा जब राष्ट्रपति ने वाराणसी के हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। अर्जुन सम्मान मिलते ही काशी का नाम देश भर में खेलों के फलक पर चमक उठा। एक भव्य समारोह में देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कारों की घोषणा के बाद शनिवार को सभी खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया जा रहा था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने हॉकी में उनके उत्कृष्ट उपलब्धियों के सम्मान में ललित कुमार उपाध्याय को अर्जुन पुरस्कार, 2021 प्रदान किया तो राष्ट्रपति भवन सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस बार टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक हासिल किया तो उस टीम में वाराणसी के तेज तर्रार खिलाड़ी ललित उपाध्याय भी बतौर खिलाड़ी अपने हॉकी स्टिक के साथ मौजूद रहे। खेल के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान में वाराणसी को शनिवार को ऐतिहासिक सफलता हासिल हुई है। वाराणसी के खेल जगत के लिए आज का दिन काफी ऐतिहासिक साबित हुआ है। लगभग 41 वर्ष पहले भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मोहम्मद शाहिद को 1980-81 में अर्जुन अवार्ड मिला था। अब वर्ष 2021 में वाराणसी के ललित उपाध्याय को हॉकी में अर्जुन अवार्ड मिला है।
सब बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से संभव
राष्ट्रपति से पुरस्कार मिलने के बाद ओलम्पियन ललित कुमार उपाध्याय ने मोबाइल फोन पर बताया कि यह सब बाबा विश्वनाथ की कृपा से ही संभव हुआ है। मैं जब भी निराश होता था, तब उनका दर्शन करता था। उसके बाद मुझमें नई ऊर्जा का संचार होता था। उन्हीं के आशीर्वाद से मैंने विश्व कप हॉकी, ओलिम्पिक व एशियाड में शानदार प्रदर्शन किया। सरकार जिस तरह से खेलों पर ध्यान दे रही है। उसको देख कर यही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भारतीय हर खेल में सर्वोत्तम प्रदर्शन करेंगे। मै अपने माता- पिता और कोच परमानंद मिश्रा का भी बहुत शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हर उस कदम पर साथ दिया जब मुझे उसकी बहुत जरूरत थी। मैं हॉकी वाराणसी के पदाधिकारियों का भी बहुत अहसानमंद हूं जिन्होंने हमेशा मेरा मनोबल बढ़या। मेरा युवा खिलाड़ियों से यहीं कहना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। जब आपका खून और पसीना मैदान पर बहेगा तभी आप का खेल चमकेगा। आप कभी मत सोचिए कि आप छोटी सी जगह से आये हैं। 24 घंटा आप को हॉकी को देना है तभी आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जगह बना पाएंगे। बनारस के लोगों ने जिस तरह से मुझे सम्मान दिया है उसे मै जीवन भर याद रखूंगा।