समीक्षा: भारतीय क्रिकेट कप्तान के आत्मावलोकन का वक्त
टीम इंडिया क्रिकेट के हर क्षेत्र में सर्वोत्तम है। इस टीम में जीत का जज्बा है, ये लड़ाकू टीम है। जल्दी हार नहीं मानती। सात साल में छह आईसीसी ट्रॉफी गंवा चुकी है टीम इंडिया। वर्ष 2013 में अंतिम आईसीसी ट्रॉफी में मिली थी जीत।
सात साल और छह पराजय। ये किसी को भी साल सकता है। लेकिन ये हकीकत है भारतीय क्रिकेट टीम की। वो क्रिकेट टीम जिसे आज दुनिया की बेहतरतम टीम माना जाता है। जानकार कहते हैं टीम इंडिया क्रिकेट के हर क्षेत्र में सर्वोत्तम है। यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम है। कहा ये भी जाता है कि इस टीम में जीत का जज्बा है, ये लड़ाकू टीम है। जल्दी हार नहीं मानती। लेकिन अगर बात आईसीसी ट्रॉफी की की जाए तो इस भारतीय क्रिकेट टीम को 2014 से लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि अब सालों तक टेस्ट क्रिकेट की बादशाहत कायम रखने वाली इस टीम को 140 साल के टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले विश्व चैंपियनशिप में भी पराजय का सामना करना पड़ा है।
यहां ये भी काबिले गौर है कि लगातार मिलने वाली इतनी सारी पराजयों के बाद क्रिकेट के पंडित ये कहते नहीं थकते कि विराट कोहली अब तक के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं। बता दें कि कोहली को 2012 में पहली बार सीमित ओवरों के मैच (ओडीआई) के लिए भारतीय टीम का उप-कप्तान नियुक्त किया गया। दो साल बाद 2014 में महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से सेवानिवृत्ति के बाद टेस्ट कप्तानी सौंपी गई। फिर 2017 के शुरुआत में, वह धोनी के सीमित ओवरों वाली टीम की कप्तानी छोड़ने के बाद कोहली इस टीम के भी कप्तान बन गए।
लेकिन 2017 में टीम इंडिया की कमान संभालने के बाद से अब तक इस तेज तर्रार क्रिकेटर की अगुवाई में भी भारतीय टीम आईसीसी टूर्नामेंट का कोई खिताब नहीं जीत सकी। इस बीच हर पराजय के बाद कप्तान कोहली समीक्षा और टीम में नए तेवर व बदलाव की बात करते रहे हैं। वैसा ही संकेत उन्होंने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में मिली पराजय के बाद भी मीडिया से बातचीत में दिया है।
कप्तान कोहली ने टीम में बदलाव के संकेत देते हुए कहा है कि, प्रदर्शन की समीक्षा के बाद सही लोगों को टीम में लाया जाएगा, जो बेहतर खेल के लिए सही मानसिकता रखते हों। उन्होने कहा है कि हम एक साल तक इंतजार नहीं करेंगे। उन्होंने बेखौफ खेलने वाले खिलाड़ियों को टीम में शामिल होने की वकालत कर दी है। उन्होंने बेहतर मानसिकता की बात की है। साथ ही जरूरी फैसला लेने को कहा है।
वैसे बता दें कि बतौर कप्तान 32 वर्षीय कोहली की आईसीसी टूर्नामेंट में तीसरी हार है। पहली हार पाकिस्तान के खिलाफ 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी में मिली थी, दूसरी हार न्यूजीलैंड ने 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में और अब तीसरी हार विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में। यानी विराट कोहली के नेतृत्व में भारत हर बार आईसीसी टूर्नामेंट के महत्वपूर्ण मैचों में पराजित हुआ है। वो अब तक कोई भी बड़ा क्रिकेट टूर्नामेंट भारत को नहीं जिता पाए हैं।
2014 से अब तक की पराजय का डेटा
2014 T20 वर्ल्ड कप
2014 के T20 वर्ल्ड कप में भारत ने अच्छी शुरुआत की थी। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी। टीम ने इस दौरान पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज़, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसी टीमों को परास्त किया। लेकिन टीम फाइनल में जाकर हार गई।
श्रीलंका के खिलाफ हुए इस फाइनल में पहले बैटिंग करते हुए भारत की टीम चार विकेट खोकर 130 रन ही बना सकी। जवाब में श्रीलंका ने 13 गेंदें बाकी रहते ही मैच को छह विकेट से जीत लिया। विकेटकीपर कुमार संगकारा ने 35 गेंदों पर 52 रन बनाए।
2015 वर्ल्ड कप
2015 के वनडे वर्ल्ड कप में भी भारत ने बेहतरीन शुरुआत की। टीम ने पहले ही मैच में पाकिस्तान को 76 रन से पराजित किया। पूल बी में रखी गई टीम इंडिया ने अपने सभी छह लीग मैच जीत लिए। फिर बारी आई नॉकआउट्स की तो भारत ने क्वॉर्टर-फाइनल में बांग्लादेश को 109 रन से हरा दिया।
लेकिन इस बार टीम फाइनल तक नहीं पहुंच सकी। सेमी-फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 95 रन से हरा दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 328 रन बनाए, जवाब में भारतीय टीम 233 पर ही सिमट गई।
2016 T20 वर्ल्ड कप
इस टूर्नामेंट को कौन भूल सकता है जिसमें पहला मैच हारने के बाद टीम इंडिया ने विराट कोहली की बैटिंग के दम पर सेमी-फाइनल तक का सफर तय किया। सेमी-फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को अपने आखिरी ग्रुप स्टेज मैच में ऑस्ट्रेलिया को हर हाल में हराना था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 160 रन बनाए जिसके जवाब में कोहली ने सिर्फ 51 गेंदों पर 82 रन बनाकर पांच गेंदें बाकी रहते ही भारत को छह विकेट से जीत दिला दी।
इसके बाद हुए सेमी-फाइनल में कोहली ने सिर्फ 47 गेदों पर 87 रन बनाए। भारत ने 20 ओवर्स में दो विकेट खोकर 192 रन बनाए जिसके जवाब में वेस्ट इंडीज़ ने सिर्फ तीन विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। लेंडल सिमंस ने 51 गेंदों पर 82 रन की शानदार पारी खेली।
2017 चैंपियंस ट्रॉफी
कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने पहला आईसीसी टूर्नामेंट (2017 चैंपियंस ट्रॉफी) खेला। इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका को हरा कर पीटकर टीम पहुंची सेमी-फाइनल में। यहां 59 गेंदें बाकी रहते बांग्लादेश को नौ विकेट से पराजित कर दिया। बांग्लादेश ने पहले बैटिंग करते हुए 264 रन बनाए, जिसके जवाब में रोहित शर्मा ने 123 रन की नाबाद पारी खेली और भारत ने मैच अपने नाम कर लिया।
फिर आया फाइनल। पहले बैटिंग कर पाकिस्तान ने 338 रन बना डाले जिसके जवाब में भारतीय टीम 158 पर ही सिमट गई। पाकिस्तान ने मैच को 180 रन से जीत लिया। यह पाकिस्तान की किसी भी आईसीसी वनडे टूर्नामेंट के फाइनल में मिली सबसे बड़ी जीत थी।
2019 वर्ल्ड कप
इसके बाद आया 2019 का वनडे वर्ल्ड कप। इसमें टीम इंडिया ने ग्रुप स्टेज में धमाल मचा दिया। अपने नौ में से सात मैच जीतते हुए भारतीय टीम पॉइंट्स टेबल टॉप पर रही। इस दौरान टीम को सिर्फ इंग्लैंड से मात मिली, जबकि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हुआ उनका ग्रुप मैच बिना एक भी गेंद फेंके रद्द हो गया।
अब आया सेमी-फाइनल मुकाबला, बारिश के चलते रिजर्व डे तक खिंचे इस मैच में भारत हार गया। न्यूज़ीलैंड ने पहले बैटिंग कर 239 रन बनाए जिसके जवाब में पूरे टूर्नामेंट में धमाकेदार बैटिंग करने वाली टीम इंडिया 221 रन ही बटोर पाई। भारत के लिए रविंद्र जडेजा ने 59 गेंदों पर 77 रन बनाए।
2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप
सालों से टेस्ट क्रिकेट की बेताज बादशाह भारतीय टीम ने 2019 से 2021 के बीच लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसमें ऑस्ट्रेलिया का वह दौरा भी शामिल है जिसमें विराट के नेतृत्व में पहला टेस्ट बुरी तरह से हारने के बाद टीम इंडिया आजिक्य रहाणे के नेतृत्व में जबरदस्त पलटवार किया और शृखला 2-1 से जीत ली। फिर घरेलू शृंखला में इंग्लैड के खिलाफ भी टीम इंडिया ने पहला मुकाबला हारने के बाद पलटवार करते हुए 2-1 से जीत हासिल की।
लेकिन साउथैम्प्टन में खेले गए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के पहले फाइनल में न्यूज़ीलैंड ने भारत को आठ विकेट से हराया। मैच के दो दिन पूरी तरह से बारिश से बर्बाद होने के बाद भी कीवी टीम ने बेहद आसानी से इसे अपने नाम किया। इसके साथ ही केन विलियमसन की टीम ने लगातार दो ICC वर्ल्ड कप फाइनल्स की हार का गम भी थोड़ा कम किया।
न्यूज़ीलैंड की इस जीत ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को काफी मायूस किया है। छह दिन तक चले इस पूरे मुकाबले में पांच दिन तक दोनों टीमें बराबरी पर रहीं। लेकिन अंतिम छठवें व निर्णायक दिन न्यूजीलैंड की टीम ने टीम इंडिया को क्रिकेट के हर क्षेत्र में मात दी। किवी टीम पूरी सधी रणनीति के साथ मैदान में उतरी नजर आई जबकि भारतीय टीम के संदर्भ में कहा जाए तो रणनीति नाम की कोई चीज दिखी ही नहीं।
अब कप्तान विराट कोहली अपनी टीम के प्रदर्शन से खफ़ा हैं। लेकिन क्या किवी टीम के नायक केन विलियम्सन की तरह खुद विराट ने आगे बढ़ कर टीम को प्रेरित किया। यहां यह भी बता दें कि कप्तानी संभालने के बाद से लगातार विराट की बल्लेबाजी प्रभावित ही दिखी है। इतना ही नहीं नेतृत्व के मामले में बात करें तो आपीएल से लेकर आईसीसी ट्राफी तक एक भी खिताब वो नहीं जीत सके हैं। ऐसे में क्या उन्हें आत्मावलोकन नहीं करना चाहिए। यहां बता दें कि क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को भी टीम इंडिया की कमान सौंपी गई थी लेकिन लगातार पराजयों और बल्लेबाजी के प्रभावित होते देख उन्होंने खुद कप्तानी से तौबा कर ली और उसके बाद बेहतरीन क्रिकेट खेल कर एक नजीर पेश की। तो क्या विराट ऐसा नहीं कर सकते। इस पर खुद विराट और बीसीसीआई को मंथन करना ही चाहिए.
डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
पत्रकार, पूर्व क्रिकेटर, पूर्व खेल समीक्षक, ऑल इंडिया रेडियो