19 सूत्रीय मांगों को लेकर ABVP का प्रदर्शन 8वें दिन भी रहा जारी, BHU केंद्रीय कार्यालय से निकाला आक्रोश मार्च

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इकाई ने शुक्रवार को केंद्रीय कार्यालय से आक्रोश मार्च निकाला

19 सूत्रीय मांगों को लेकर ABVP का प्रदर्शन 8वें दिन भी रहा जारी, BHU केंद्रीय कार्यालय से निकाला आक्रोश मार्च

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इकाई ने शुक्रवार को केंद्रीय कार्यालय से आक्रोश मार्च निकाला. यह मार्च बीएचयू में शोध प्रवेश नियमों में बदलाव, एमफिल धारकों के अवसर सुनिश्चित करने, स्पंदन कार्यक्रम की बहाली, और आईओई फंड (IOE) के कथित दुरुपयोग की जांच जैसी 19 सूत्रीय मांगों को लेकर किया गया.

मार्च की शुरुआत केंद्रीय कार्यालय से हुई और यह विश्वनाथ मंदिर, संकाय मार्ग, कुलपति आवास होते हुए महिला महाविद्यालय तिराहे पर समाप्त हुई. इस दौरान छात्र प्रशासन की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आगे बढ़े.

बता दें कि, अभाविप 18 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी है, लेकिन इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई सक्षम अधिकारी प्रदर्शनकारियों से मिलने नहीं पहुंचा. प्रशासन की इस संवादहीनता और अनियमितता को लेकर छात्रों ने आज परिसर में आक्रोश मार्च का आयोजन किया, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों से सैकड़ों छात्रों ने भाग लिया और अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की. 

इस दौरान प्रांत मंत्री अभय प्रताप सिंह ने कहा, "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हमेशा से छात्र हितों के लिए तत्पर रही है. बीएचयू में शोध प्रवेश नियमों में बदलाव और अन्य मांगों को लेकर अभाविप पिछले 8 दिनों से लगातार केंद्रीय कार्यालय पर धरने पर है. प्रशासन की ओर से संवाद की कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे छात्रों की मांगों की अनदेखी कर रहे हैं. आज का आक्रोश मार्च प्रशासन को चेतावनी है कि यदि छात्रों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और भी तीव्र होगा और हम तब तक लड़ेंगे जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं.

अभाविप बीएचयू इकाई के अध्यक्ष प्रशांत राय ने प्रशासन पर छात्रों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को अब छात्रों के हितों से कोई मतलब नहीं है. अधिकारी अपने लाभ और धन की व्यवस्था में व्यस्त हैं, जबकि छात्रों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. हम शोध प्रवेश नियमों में संशोधन, स्पंदन की बहाली, ओपीडी समय बढ़ाने, और आईओई फंड के दुरुपयोग की जांच जैसी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. मांगें पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा.

इकाई मंत्री भाष्करादित्य त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय के कार्यों पर सवाल उठाते हुए कहा, "आईओई फंड का दुरुपयोग हो रहा है, और एमफिल एवं एनईटी उत्तीर्ण छात्रों के अवसर घटाए जा रहे हैं. कुल 19 मुद्दों पर हम संवाद करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने बातचीत करने की कोई पहल नहीं की है. आज का यह आक्रोश मार्च प्रशासन को चेतावनी है कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तीव्र किया जाएगा.

इस मार्च में ओंकार शास्त्री, आशीर्वादम, राजकुमार, सर्वेश, गौरव, विकास, आदर्श गौतम, साक्षी, अपर्णा, आरोही, मदन गोपाल, व्योम, हिमांशु, ध्रुव, अश्विनी, अखिलेश, पल्लव, गजेंद्र, दिव्यांशु, कृष्णकांत, रघुनंदन, अभिषेक, यशवर्धन, सर्वेश, और पियूष समेत सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.