ट्रेजरी अधिकारी बनकर रिटायर्ड अफसरों और कर्मचारियों के खाते से पैसे उड़ाने वाले 2 ठग गिरफ्तार, जाने क्या अपनाते थे तरीका...

सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अधिकारियों को निशाना बनाकर फर्जी तरीके से उनके खातों से पैसे उड़ाने वाले दो ठग गिरफ्तार किए गए हैं. यह खुद को ट्रेजरी अधिकारी बताकर चुना लगाते थे.

ट्रेजरी अधिकारी बनकर रिटायर्ड अफसरों और कर्मचारियों के खाते से पैसे उड़ाने वाले 2 ठग गिरफ्तार, जाने क्या अपनाते थे तरीका...

वाराणसी,भदैनी मिरर। ट्रेजरी अधिकारी बनकर पेंशनरों के खाते से पैसे उड़ाने वाला सरगना अपने दोस्तों संग साइबर पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. साइबर थाने को गाजीपुर जनपद से महमूदाबाद सेमरा निवासी उपेंद्र कुमार सिंह ने शिकायत दर्ज कराई कि वह पुलिस विभाग से रिटायर हो चुके हैं और 25 मार्च को उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से फोन कर खुद को ट्रेजरी से बताते हुए कहा कि आपका पेंशन आ गया है, उसने एक ओटीपी भेजकर पूछा और अगले दिन उनके खाते से 10 ट्रांजेक्शन कर 18 लाख रुपए निकाल लिए.

उसी तरह 25 वीं वाहिनी पीएसी रायबरेली से सेवानिवृत्त लल्लन प्रसाद ने शिकायत दर्ज कराई थी. उनके मोबाइल पर 4 फरवरी को अनजान नंबर से फोन आया और खुद को गाजीपुर जिले के ट्रेजरी विभाग से होना बताया. फोनकर्ता ने लल्लन से पूछा कि आप पेंशन किस खाते से लेना चाहते है. जिस पर उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंक से मेरा पेंशन लागू है. फोनकर्ता ने खाता संख्या पूछने के बाद क्रिक स्पोर्ट एप डाउनलोड करने को कहा. जिसके बाद उसने ओटीपी भेजा और कहा कि जो ओटीपी जाएगा उसे बताइए. ओटीपी मिलने के बाद उनके भी खाते से पैसे उड़ गए थे.
विवेचना के दौरान जब पुलिस ने कॉल डिटेल रिकार्ड (CDR) खंगाला तो चंदन सागर उर्फ चंदन कुमार निवासी दयाली बिगहा जहानाबाद और संदीप कुमार चौबे उर्फ लकी निवासी चैन छपरा थाना हल्दी निवासी को गिरफ्तार किया.

ऐसे करते थे यह अपराध:-

पकड़े गये चंदन सागर और संदीप कुमार चौबे ने बताया की वह पहले फोन पर झासा देकर आधार कार्ड व पैन कार्ड की छाया प्रति मंगाते है और आधार नं, पैन नं, बेस्ट कार्ड प्रिन्ट पोर्टल से सभी कुछ भरकर अपना फोटो लगाकर आधार कार्ड पैन कार्ड बना लेते है. उसके बाद कई प्रकार से आधार कार्ड गलत ढंग से प्राप्त कर लेते है, इसके बाद पेंशनरों और सरकारी कर्मचारियों व अन्य लोगों को फोन कर केवाईसी अपटेड या पेंशन के संबन्ध में खानापूर्ति के नाम फर्जी बैंक अधिकारी, ट्रेजरी अधिकारी बनकर बैंक संबन्धी जानकारी प्राप्त कर व एनीडेस्क या क्यूक सपोर्ट डाउनलोड कराकर उनके खातों से पैसा गायब कर देते है. प्राप्त पैसों को विभिन्न वालेट व खाता में डालकर निकाल लेते है और आपस में बांट लेते है.
पकड़े गए चंदन सागर ने बताया की एक टीम बनी है जिसमें सबका काम बंटा हुआ है. टीम के अलग अलग लोग फर्जी सिम का व्यवस्था, फर्जी खाता नंबर का व्यवस्था, नेट से सर्च कर कर्मचारियों, अधिकारियों, व्यक्तियों का नंबर व विवरण प्राप्त करने, कर्मचारियों, अधिकारियों, व्यक्तियों को फोन करने, फर्जी वालेट तैयार करने, ए.टी.एम. से पैसा निकालने, सरकारी लाभ के नाम पर विभिन्न लोगों एटीएम व पासबुक डाक से मंगाने आदि का कार्य मिलकर करते है। प्रत्येक फर्जी खाता के लिए सरकारी का 50000 रूपये तक तथा प्राइवेट बैंक का 2,50000 रूपये तक दिया जाता है, तथा फर्जी सिम का रेट 10 रूपये है. हमलोग अपना नाम व पता हमेशा गलत बताते है और ज्यादा समय तक एक ही स्थान पर नही रहते है. हम लोग वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, दिल्ली, जमशेदपुर, पटना, नालंदा आदि शहरो में खाता खुलवाते है और फर्जी सिम प्राप्त करते है. 

गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम और बरामदगी

गिरफ्तार करने वालों में साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र, कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता, हेड कांस्टेबल आलोक कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल प्रभात कुमार त्रिवेदी, कांस्टेबल गोपाल चौहान, कांस्टेबल रविकांत जायसवाल, कांस्टेबल पृथ्वीराज सिंह शामिल रहे. पुलिस टीम ने दोनों ठगों के पास से 4 एंड्राइड मोबाइल, एक लैपटॉप, 12 मोबाइल विभिन्न कंपनियों के सिम, 18 विभिन्न बैंक खातों के पास बुक और चेक बुक, 10 आधार कार्ड, 20 विभिन्न बैंकों के एटीएम, दो पैन कार्ड, एक सोने की चेन, 8420 रुपए नगद और विभिन्न खातों में 11 लाख रुपए  सीज किया है.