शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का दर्शन कर भक्त हो रहे निहाल, जानें महत्व
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. तृतीया तिथि के अवसर पर देवी के इस तीसरे रूप के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है
वाराणसी, भदैनी मिरर। शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है. तृतीया तिथि के अवसर पर देवी के इस तीसरे रूप के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है. काशी में देवी चंद्रघंटा का मंदिर चौक थाने के पास, मजार के सामने की गली में स्थित है.
रात से ही भक्त माता के दर्शन के लिए उमड़ने लगे हैं. भक्तगण माता को नारियल, चुनरी, भोग, प्रसाद और श्रृंगार सामग्री अर्पित कर श्रद्धा पूर्वक शीश झुका रहे हैं.
देवी पुराण के अनुसार, देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है। इस स्वरूप का ध्यान करने से भक्त को इहलोक और परलोक दोनों में लाभ होता है. शारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि पर देवी के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र स्थित है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. लिंग पुराण के अनुसार, देवी चंद्रघंटा ही वाराणसी क्षेत्र की सुरक्षा करती हैं, और यह मंदिर शहर के मध्य में स्थित है.