#ripdilipkumar: बनारस के बेनियाबाग में 'ट्रैजेडी किंग' दिलीप कुमार ने दिया था चुनावी भाषण, टूट गया था मंच का एक हिस्सा... 

कांग्रेस से पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा कहते है कि वर्ष 1999 था जब दिलीप कुमार और जानी वाकर हमारे चुनाव प्रचार के लिए आये थे। उस वक्त वह अस्वस्थ थे लेकिन उन्होंने कहा कि जब जुबान दे चुका हूं तो आऊंगा। उनका हाथ छूने के लिए जनता टूट पड़ी थी, लगभग डेढ़-दो लाख लोगों की भीड़ थी। उस वक्त बेनियाबाग बना भी नहीं था। वह एक नेकदिल और खुशमिजाज व्यक्ति थे।

#ripdilipkumar: बनारस के बेनियाबाग में 'ट्रैजेडी किंग' दिलीप कुमार ने दिया था चुनावी भाषण, टूट गया था मंच का एक हिस्सा... 

वाराणसी/ श्रीधर त्रिपाठी (हि.स.)


बॉलीवुड में 'ट्रैजेडी किंग' के नाम से मशहूर रहे दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार संग सबकी अपनी-अपनी यादें है। काशी में भी उनसे जुड़ी एक यादें है, जब वह चुनावी भाषण देने के लिए बनारस के बेनियाबाग मैदान में आये थे। तब उनकी एक झलक पाने के लिए युवा बेनियाबाग के मैदान में उमड़ पड़े थे। दिग्गज अभिनेता के निधन की जानकारी पर प्रशंसक शोकाकुल है। सोशल मीडिया के जरिये सिल्वर स्क्रीन के लीजेंड दिलीप कुमार को याद कर प्रशंसक अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। 


पुरनिये बताते है कि 'ट्रैजेडी किंग' दिलीप कुमार कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्र जब वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे। उनके चुनाव प्रचार में दिलीप साहब और जॉनी वॉकर आये थे। ऐतिहासिक बेनियाबाग के मैदान में दिलीप कुमार की चुनाव सभा रखी गई थी, तब अभिनेता के चाहने वाले सभा में उन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में जुट गये थे। 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर सतीश कुमार राय अपने फेसबुक वॉल में दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि देने के बाद उनके वाराणसी आने का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि मुझे याद आता है कि डा.राजेश मिश्रा वाराणसी में लोकसभा के कांग्रेस उम्मीदवार थे। चुनाव में दिलीप कुमार का कार्यक्रम आ गया। कांग्रेस ने बेनियाबाग के मैदान में उनकी चुनाव सभा रखी। चुनाव प्रचार की वह आखिरी तारीख थी। आयोजकों और प्रशासन दोनों ने शायद उस सभा को हल्के में लिया था। फलत: उनकी शोहरत और उसके चलते भीड़ के अनुमान एवं उचित बन्दोबस्त में दोनों ओर से कमियां रह गई। सभा में साउंड सिस्टम उतना अच्छा नहीं था, जैसी विराट सभा हुई। मैदान में बैरिकेडिंग बहुत कमजोर और नाकाफी थीं। 


प्रो. राय ने लिखा है कि दिलीप साहब के पहुंचने तक चारों ओर मैदान एवं सड़क से छतों तक लोग ही लोग दिखाई दे रहे थे। मैं प्रेस वालों के साथ प्रेस गैलरी में था। सभा में दिलीप कुमार जम कर बोले और भाषण खत्म करने के बाद कहा कि अब जानी वाकर आप से मुखातिब होंगे। उसके बाद जानी वाकर ने अपने अंदाज में बोलना शुरू किया। उस बीच भीड़ का दबाव मंच की ओर बढ़ने लगा था। मंच के पास बने बैरिकेडिंग एक ओर से टूट गई। पुलिस के लोग मुट्ठी भर ही थे। भीड़ देख दिलीप साहब मंच से सीढ़ियां उतरने लगे। तब तक मंच के पीछे भी भीड़ बढ गई थी। जानी वाकर को दिलीप कुमार के उतर जाने का आभास हुआ और दीवानगी के साथ नीचे तक भीड़ का आलम दिखा, तो वह माइक छोड़ कर भागे और एक दो सीढ़ी के बाद सीढ़ी की रेलिंग लांघकर सीधा नीचे कूद पड़े। अब तक मौजूद पुलिस वाले दिलीप कुमार को किसी तरह गाड़ी में बैठा चुके थे। भीड़ में किसी तरह जानी वाकर उस गाड़ी तक पहुंच सके और उसमें घुस पाये। पुलिस वालों ने भीड़ के बीच किसी तरह रास्ता बनाते हुए उनकी गाड़ी को बेनियाबाग से बाहर निकलवाया था।