खबर से भ्रम: बरसात के जल की BHU नाले से निकासी पर बोला विश्वविद्यालय प्रशासन हमनें नहीं दी स्वीकृति, ABVP बोला हम करेंगे विरोध

खबर से भ्रम: बरसात के जल की BHU नाले से निकासी पर बोला विश्वविद्यालय प्रशासन हमनें नहीं दी स्वीकृति, ABVP बोला हम करेंगे विरोध

वाराणसी, भदैनी मिरर। बरसात के मौसम में सुसवाही और हैदराबाद गेट के सामने जलजमाव की समस्या को लेकर प्रकाशित खबर को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। खबर में दावा किया गया है कि बीएचयू प्रशासन से वार्ता कर इस बात पर सहमति बनाई गई है कि बीएचयू नाले के माध्यम से बरसात के पानी के निकासी की व्यवस्था की गई हैं। इस खबर के बाद एवीबीपी छात्र संगठन ने जहा विरोध किया है, वही विश्वविद्यालय ने इस दावें का खंडन किया है। बीएचयू के प्रवक्ता डॉ. राकेश सिंह ने कहा है कि कोई सहमति या स्वीकृति नहीं दी गई है। 

एवीवीपी ने कहा पुनर्विचार करें विश्वविद्यालय

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का कहना है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) का निर्माण सन 1916 में हुआ था, जिसमें इस परिसर के जल निकासी हेतु एक निर्धारित क्षमता के नालों का निर्माण हुआ। वर्तमान समय मे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के नाले अपनी क्षमता से अधिक कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में कई नए आवास, छात्रावास एवं इमारतें बनी हैं जिनकी जल निकासी इन नालों से होती है। इस स्थिति में अगर बाहरी क्षेत्रो के नाले विश्वविद्यालय परिसर के नालों में गिराए जाएंगे तब पहले से ही अपनी क्षमता से अधिक जल निकासी का भार झेल रहे नाले स्वाभाविक रूप से ध्वस्त हो जाएंगे एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की जल निकासी व्यवस्था बाधित हो जाएगी एवं जगह जगह जल जमाव एवं गंदगी के कारण कई प्रकार की बीमारी फैलने का खतरा बन जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन से एबीवीपी ने यह मांग किया  कि तत्काल इस योजना पर रोक लगाई जाए एवं वैकल्पिक योजना के तहत बाहरी क्षेत्रो से जल निकासी की व्यवस्था कर समस्या का समाधान किया जाए न कि नालों को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में गिरा कर नई नई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया जाए।

विश्वविद्यालय ने खबर का किया खंडन

विश्वविद्यालय की जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुसुवाही एवं हैदराबाद गेट के सामने जमा होने वाले बरसात के जल की बीएचयू के नाले के माध्यम निकासी के संदर्भ में प्रकाशित खबर और दावे की सत्यता यह है कि इस बारे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ सहमति बनी है, सर्वथा भ्रामक एवं तथ्यहीन है। इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई सहमति या स्वीकृति नहीं दी है। साथ ही साथ, विश्वविद्यालय के बाहर के पानी की बीएचयू की व्यवस्था के माध्यम से निकासी न तो पहले कभी हुई है और न अभी हो रही है। इस बारे में पूर्व में बीएचयू में ऐसे नाले के इस्तेमाल होने का दावा भी पूरी तरह से भ्रामक है। बीएचयू के पानी की निकासी की अपनी व्यवस्था है, जो विश्वविद्यालय में बढ़ते हुए भवनों एवं रहवासियों की संख्या के चलते पहले से ही दबाव में है एवं जलजमाव की समस्या को दूर करने के लिए उपायों पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन विचार कर रहा है। ऐसे में बाहर के पानी के लिए विश्वविद्यालय की निकासी व्यवस्था को इस्तेमाल करने की कोई गुंजाइश नहीं है।