मुआवजे की मांग को लेकर संसदीय कार्यालय जा रहे रामनगर के व्यापारियों ने रोका, ACP को सौंपा ज्ञापन...

पड़ाव से रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 के शेष भाग पर फोरलेन में सड़क चौड़ीकरण करने से रामनगर सड़क किनारे बने हुए सैकड़ों दुकानों व हजारों मकानों का अस्तित्व खतरे में पड़ने से नाराज श्री व्यापार मंडल रामनगर के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय ज्ञापन सौंपने जा रहे सैकड़ों व्यापारियों को पुलिस ने रामनगर थाने पर ही रोक लिया.

मुआवजे की मांग को लेकर संसदीय कार्यालय जा रहे रामनगर के व्यापारियों ने रोका, ACP को सौंपा ज्ञापन...

वाराणसी, भदैनी मिरर। पड़ाव से रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 के शेष भाग पर फोरलेन में सड़क चौड़ीकरण करने से रामनगर सड़क किनारे बने हुए सैकड़ों दुकानों व हजारों मकानों का अस्तित्व खतरे में पड़ने से नाराज श्री व्यापार मंडल रामनगर के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय ज्ञापन सौंपने जा रहे सैकड़ों व्यापारियों को पुलिस ने रामनगर थाने पर ही रोक लिया. वहां अफसरों ने व्यापारियों को घंटों समझाया जिसके बाद एसीपी भेलूपुर प्रवीण सिंह के आश्वासन पर व्यापारी माने. एसीपी ने आश्वासन दिया की आपके जनहित की मांगों को उचित तरीके से जिम्मेदारों तक पहुंचा दिया जाएगा. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन एसीपी भेलूपुर को व्यापारियों ने सौंपा.


व्यापारियों की मांग है की वर्तमान में भारी गाड़ियों और ट्रकों का आवागमन सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 में मिलता है, उससे अन्य राज्यों तक जाता है. उसको चौड़ीकरण करके ऐतिहासिक नगरी रामनगर जो कि विश्व प्रसिद्ध रामलीला के लिए भी विख्यात है जिसे बचाया जाना आवश्यक है. जबकि सड़क चौड़ीकरण से हजारों दुकान व मकान प्रभावित होंगे वहीं आने वाले समय में इसे सिक्स लेन में परिवर्तित किया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं होगा, जिला प्रशासन ने जो रूपरेखा तैयार किया है उससे नगरवासियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है क्योंकि जिस आबादी को महाराजा ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह ने बनाया और उसके बाद महाराजा प्रभु नारायण सिंह व महाराजा उदित नारायण सिंह ने इसे विस्तृत रूप दिया वहीं महाराजा विभूति नारायण सिंह ने अपने शासन काल में एक विशिष्ट खसरा बनवाया जो खसरा और खतौनी दोनों का समिश्रण है. 

व्यापारियों का कहना है की जिलाधिकारी द्वारा 1353 फसली यानि 1945-46 ई० मे बने आबादी बंदोबस्ती के इस खसरा को भूमि पर मालिकाना हैसियत मानने से सिर्फ इसलिए इंकार कर दिया है कि प्रभावित हजारों नगरवासियों को जमीनों व व्यवसायिक दुकानों का भारी मुआवजा देना पड़ेगा. इसलिए बार-बार खतौनी का रट लगाने का प्रयास कर रहे हैं, जिला प्रशासन से बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि आबादी में केवल खसरा ही बनाया गया है और खतौनी केवल कृषि भूमि का होता है जो बाद में यदि कृषि भूमि पर आबादी बसाई जाती है या कालोनी बनाई जाती है, चूंकि पहले से ही खतौनी होने के कारण उसका खसरा व खतौनी अलग-अलग राजस्व विभाग में दर्ज मिलता है, काशी नरेश के समय में बना इस तरह का पहला अभिलेख है जो सम्पूर्ण भारत में दूसरा कहीं भी नहीं मिलता. 

व्यापारियों की मांग है की इस प्रकरण को गंभीरता से समझते और नगरवासियों को बर्बाद करने से रोकें. यदि बाईपास का निर्माण सम्भव हो तो बाईपास बनाया जाये यदि चौड़ीकरण करने का मन बन ही गया है तो नगरवासियों को जो उचित मुआवजा बनता है वो बाजार भाव का चार-गुना दिया जाये. जो पुरी तरह से बर्बाद हो रहे हैं उन्हें मुआवजा देने के साथ-साथ पुनर्वास, पुनर्व्यवस्थित भी कराया जाये. उनके रोजगार करने के लिए मुफ्त दुकानों का प्रबंध जिला प्रशासन करे यह जिला प्रशासन की तरफ से खैरात नहीं है बल्कि यही शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुसार देय है.