काशी कभी नहीं छोड़ते भोले, लक्षचण्डी महायज्ञ में काशी कथा में बोले व्यास- अहंकार करता है सर्वनाश

The innocent never leave Kashi Vyas said in the story of Kashi in Lakshchandi Mahayagya ego destroysकाशी कभी नहीं छोड़ते भोले, लक्षचण्डी महायज्ञ में काशी कथा में बोले व्यास- अहंकार करता है सर्वनाश

काशी कभी नहीं छोड़ते भोले, लक्षचण्डी महायज्ञ में काशी कथा में बोले व्यास- अहंकार करता है सर्वनाश

वाराणसी,भदैनी मिरर। काशी खंड के दूसरे अध्याय में वर्णित श्लोकों का वाचन करते हुए व्यासपीठ से पंडित प्रवर विश्वेश्वर शास्त्री द्राविड़ एवं डॉ. श्यामगंगाधर वापट ने विंध्य पर्वत का अहंकार और अगस्त ऋषि की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जब नारद जी नर्मदा नदी से स्नान कर वापस आते हैं तो वह विंध्य पर्वत से मिलते हैं। विंध्य पर्वत जो कि बहुत ही अहंकारी था। उसे अपनी ऊंचाई का अभिमान था। विंध्य के बढ़ते अभिमान को देख नारद जी ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और सारी बात बताते है। ब्रह्मा जी कहते हैं कि अहंकार हमेशा हानि ही पहुंचाता है। अहंकार किसी के गुण को नही हमेशा दोष को ही देखता है। अहंकार को विनय और उदारता ही दूर कर सकती है जो सिर्फ एक गुरु में  ही होती है। उन्होंने बताया कि विंध्य के गुरु काशी में रहने वाले अगस्त ऋषि हैं। वो ही अपनी उदारता और विनय से विंध्य का अहंकार को दूर कर सकते हैं। क्योकि उनका चित्त सदैव भगवान विश्वेश्वर में लगा रहता है। यह सुनते ही देवतागण अगस्त ऋषि की खोज में काशी की ओर निकल पड़ते हैं।


संकुलधारा पोखरे पर चल रहे स्वामी प्रखर जी महाराज के नेतृत्व में चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में आयोजित 8 दिवसीय परम गोपनीय काशी कथा के दूसरे दिन कथा व्यास ने कहा कि काशी को भगवान शंकर कभी नहीं छोड़ते। वह सदैव काशी से जुड़े रहते हैं। इसलिए काशी में जो भी अच्छे कार्य करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति जरूर होती है। एक जन्म में नहीं तो अगले जन्म में होती है लेकिन होती जरूर है। 

महायज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, अनिल अरोड़ा,  विकास भावसिंहका आदि लोग उपस्थित रहे।