शौर्य न्यूरोलॉजी मना रहा 12वीं वर्षगांठ, 7 फरवरी को इस बीमारी के प्रति लोगो को किया जाएगा जागरूक...
डॉ अविनाश ने बताया कि प्रतिवर्ष सेंटर की वर्षगांठ के अवसर पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के चलते रैली का आयोजन किया जा रहा है। डॉ अविनाश बताते हैं कि इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी से लोग ग्रस्त हो रहे हैं। जिसे देखते हुए इसके प्रति जागरूक करने के लिए इस रैली का आयोजन किया जा रहा है।
वाराणसी/भदैनी मिरर। सिगरा स्थित शौर्य न्यूरोलॉजी सेंटर अपनी 12 वर्षगांठ के अवसर पर 7 फरवरी रविवार को एक जन जागरूकता साइकिल रैली का आयोजन कर रहा है। इस रैली में लोगों को ब्रेन स्ट्रोक समेत अन्य न्यूरो से संबंधित बीमारी के बारे में जगरूक किया जाएगा। यह रैली लंका स्थित मालवीय प्रतिमा से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए सिगरा न्यूरोलॉजी सेंटर पहुंच कर समाप्त होगी। उक्त बातें शौर्य न्यूरोलॉजी के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अविनाश चंद्र सिंह ने भदैनी मिरर से हुई बातचीत के दौरान बताई।
डॉ अविनाश ने बताया कि प्रतिवर्ष सेंटर की वर्षगांठ के अवसर पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के चलते रैली का आयोजन किया जा रहा है। डॉ अविनाश बताते हैं कि इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी से लोग ग्रस्त हो रहे हैं। जिसे देखते हुए इसके प्रति जागरूक करने के लिए इस रैली का आयोजन किया जा रहा है।
बढ़ती उम्र में रखें खास ध्यान
डॉ अविनाश बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक अक्सर बढ़ती उम्र में होता है और यह हृदयाघात की तरह ही होता है। जिस तरह हार्ट अटैक होता है वैसे ही ब्रेन अटैक होता है। इसमें ब्रेन में जब रक्तस्राव रुक जाता है तो वह ब्रेन स्ट्रोक का रूप ले लेता है। वैसे तो बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है लेकिन अक्सर यह बीमारी 30 से 40 की उम्र के बाद होने की ज्यादा सम्भावना होती है। इसलिए बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य का खास ध्यान भी रखना जरूरी है। इससे बचने के लिए प्रतिदिन व्यायाम के साथ स्वस्थ्य खान-पान का भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही जितना हो सके तनावमुक्त रहना चाहिए। ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
डॉ अविनाश बताते है कि वैसे तो ब्रेन स्ट्रोक अचानक होता है । लेकिन कभी कभी कुछ मरीजों में इसके लक्षण भी दिखने शुरू हो जाते हैं। जैसे चहरे में बदलाव, हाथ-पैर में कमजोरी, बोलने में और समझने में तकलीफ। डॉ अविनाश कहते हैं कि अगर मरीजों में ये लक्षण दिखने के 4 घण्टे के अंदर ही चिकित्सक के पास ले जाया जाए तो यह बीमारी न सिर्फ पूरी तरह ठीक हो जाती है बल्कि इससे मरीज को बचाया भी जा सकता है।
मिर्गी का इलाज भी है सम्भव
डॉ अविनाश बताते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही न्यूरो की सबसे बड़ी समस्या मिर्गी है। लेकिन ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लेकर न सिर्फ भ्रांतियां फैली हैं बल्कि लोग इसे बीमारी समझते ही नहीं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है मिर्गी भी एक बीमारी है और इसका इलाज भी सम्भव है। डॉ अविनाश बताते हैं कि हृदय की तरह ब्रेन भी धड़कता है ब्रेन में भी तरंगे उठती हैं। लेकिन जब असामान्य तरिके से ये तरंगे उठती हैं तो मरीज को दौरे आते हैं जिसे मिर्गी कहते हैं। 80 प्रतिशत मिर्गी के मरीज कम समय मे दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं। 20 प्रतिशत मरीज ही ऐसे होते हैं जिनकी दवाएं 3 से 5 साल तक चलती हैं लेकिन वह भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
बच्चों पर न दे किसी तरह का दबाव
डॉ अविनाश बताते हैं कि इन दिनों युवा ज्यादातर डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है बदलती जीवन प्रक्रिया। जैसे जैसे हमारी लाइफ स्टाइल बदल रही है वैसे वैसे हमारी उम्मीदें बढ़ रही हैं और इन उम्मीदों को पूरा करने के कारण लोगों में तनाव भी बढ़ रहा। उन्होने खासकर माता-पिता से अपील करते हुए बताया की बच्चों पर किसी भी तरिके के दबाव न दें उन्हें स्वंय आगे बढ़ने दें ताकि वह तनावमुक्त होकर जीवन व्यतीत कर सके।