शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मठ में ही पुलिस ने रोका, जाना चाहते थे ज्ञानवापी...

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मठ में ही पुलिस ने रोका, जाना चाहते थे ज्ञानवापी...

वाराणसी, भदैनी मिरर। ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू मंदिरों और प्रतीकों के मिलने के बाद शिवलिंग होने के दावे के बाद सोमवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्ञानवापी मस्जिद की परिक्रमा करने के लिए निकले. उसके पहले ही कई थानों की फोर्स के साथ एसीपी भेलूपुर डॉक्टर अतुल अंजान त्रिपाठी ने उन्हें मठ में ही रोक दिया. इस दौरान पुलिस और शंकराचार्य के बीच कहासुनी हुई. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ में ही रोक दिया. कई पुलिस की ड्यूटी भी लगा दी गई है.

ऊपर से अनुमति नहीं

एसीपी भेलूपुर डॉक्टर अतुल अंजान त्रिपाठी और एसीपी दशाश्वमेध अवधेश पांडेय ने शंकराचार्य को ज्ञानवापी परिक्रमा करने से रोक दिया. जिस पर शंकराचार्य ने पुलिसकर्मियों से कारण पूछा तो पहले पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि वह प्रतिबंधित क्षेत्र है किसी नई परंपरा की शुरुआत नहीं हो सकती. जिस पर शंकराचार्य ने कहा कि हम और हमारे आचार्य पहले भी परिक्रमा करते रहे है, उसके प्रमाण हमारे पास है. जिस पर पुलिस के अफसरों ने कहा कि ऊपर से आदेश नहीं है.

हम दो लोग ही कर लेंगे परिक्रमा

शंकराचार्य और पुलिस अफसरों के बीच वार्तालाप के दौरान धारा-144 की बात आई तो स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम खुद पुलिस-प्रशासन का सहयोग करना चाहते है. सिर्फ हम दो लोग ही ज्ञानवापी जाएंगे. ऐसा करने पर न तो कानून का उल्लंघन होगा और न ही कानून व्यवस्था को किसी प्रकार का खतरा होगा. बावजूद इसके पुलिस अधिकारी यह कहते रहे कि जहां आप परिक्रमा करना चाहते हैं वह प्रतिबंधित क्षेत्र है. आप को वहां जाने की अनुमति नहीं है.

रोज मुस्लिम पढ़ते है नमाज

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पुलिस-प्रशासन ने कहा कि वह प्रतिबंधित क्षेत्र है मगर मुस्लिम धर्म के लोग वहां नमाज पढ़ रहे है, हम तो दो लोग ही जहां आम जनता का आवागमन है वहीं परिक्रमा करके लौट आते. 
कहा कि इस परिक्रमा की सूचना पहले ही अधिकारियों को भेजी गई थी, 28 जनवरी को ही पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी श्रीविद्या मठ पहुंचे थे और वार्ता की थी. उन्होंने वहां धारा 144 लागू होने की बात कही थी. उस वक्त भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह प्रस्ताव दिया था कि यदि ऐसी बात है तो मैं अपने एक शिष्य के साथ ही परिक्रम कर लूंगा. तब भी अधिकारी कुछ भी स्पष्ट किए बिना ही मठ से लौट गए थे. 
शंकराचार्य ने कहा कि हम कोर्ट जाएंगे और अनुमति लेकर आयेंगे.