सर्व सेवा संघ की लड़ाई जारी, रामधीरज बोले - प्रशासन का रवैया दुखद...
संघ के सदस्य रामधीरज ने बताया कि सर्व सेवा संघ के पास 63 साल से वैधानिक रजिस्ट्री पेपर है और नगर निगम द्वारा पास नक्शे के आधार पर यह भवन बना हुआ है। नगर निगम को टैक्स देते हैं।
वाराणसी,भदैनी मिरर। जिला प्रशासन द्वारा सर्व सेवा संघ की जमीन जबरन खाली कराए जाने के विरोध में शुक्रवार को सर्व सेवा संघ की ओर से पराड़कर स्मृति भवन में पत्रकारवार्ता के दौरान संघ के सदस्य रामधीरज ने बताया कि सर्व सेवा संघ के पास 63 साल से वैधानिक रजिस्ट्री पेपर है और नगर निगम द्वारा पास नक्शे के आधार पर यह भवन बना हुआ है। नगर निगम को टैक्स देते हैं। फिर भी वाराणसी प्रशासन और रेल प्रशासन ने बिना किसी सूचना के 22 जुलाई 2023 सुबह 6 बजे भारी पुलिस फोर्स के साथ जबरन घरों को खाली कराया और लोगों के सामान बाहर फेंक दिया। बिना किसी आदेश के शांतिपूर्ण सत्याग्रह करते हुए 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
प्रशासन का रवैया दुखद
उन्होंने कहा कि हद तो तब हो गई जब प्रशासन ने सर्व सेवा संघ प्रकाशन और पुस्तकालय की ऐतिहासिक पुस्तकों को बाहर निकाल कर सड़क पर फेंक दिया और पुलिस अधिकारी और कर्मचारी उसी पर जूते पहनकर उसको रौंदते रहे। कहा कि गांधी विचार एवं पुस्तकों के प्रति सरकार का यह रवैया देखकर बेहद दुख हुआ और आश्चर्य भी। जो काम बख्तियार खिलजी ने नालंदा की लाइब्रेरी को जलाकर किया, वही काम मोदी सरकार में बनारस में सर्वोदय लाइब्रेरी को बर्बाद करके किया।
की यह मांग...
हम मीडिया के माध्यम से सरकार और न्यायपालिका से मांग करते हैं कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ धार्मिक और महापुरूषों की पुस्तकों को पैरों से रौंदने और महापुरुषों के चित्रों पर पैर रखने के कारण इनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
बिना किसी न्यायालय के आदेश के घरों को खाली करवाना और अहिंसक तरीके से सत्याग्रह करने वालों को गिरफ्तार करना गैरकानूनी भी है और मानवाधिकारों का हनन भी। इसलिए बिना गिरफ्तारी वारंट और बिना न्यायालय के आदेश के इस तरह की कार्यवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
हम यह भी मांग करते हैं कि वाराणसी के कमिश्नर, डीएम, रेलवे के डीआरएम और एडीआरएम द्वारा मनमाने तरीके से अवैध कार्य करने की जांच की जाए और इनकी संपत्ति की भी जांच की जाए ।
हम आपको यह भी बताना चाहते हैं या जो काशी स्टेशन इंटर मॉडल स्टेशन बन रहा है, इसकी डीपीआर एक विदेशी कंपनी ने बनाया है, जिसने न तो पर्यावरण का ध्यान रखा है और न ही मां गंगा के प्रवाह नियमों और बाढ या ब्लड एरिया का ध्यान रखा गया है।
यह पूरा क्षेत्र पुरातात्विक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्राचीन काशी का इलाका है। यहां सर्व सेवा संघ, कृष्णमूर्ति फाऊंडेशन जैसी संस्थाएं और आदि केशव, कपिलधारा,एवं विनायक आदि जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।
पर्यावरण की दृष्टि से यहां कई दर्जन पेड़ हैं, जो सैकडों साल पुराने हैं और भारत सरकार के वृक्ष संरक्षण नियमावली के तहत आते हैं। यह सारे पेड़ विकास की भेंट चढ़ जाएंगे।
सरकार ने पिछले दिनों विकास का लुभावना नारा देकर जल परिवहन की बात कही लेकिन आज तक वह चालू नहीं हो पाया। कछुआ सेंचुरी को हटाया गया और विकास के नाम पर ही नाविकों की रोजी-रोटी समाप्त की गई।
अब बनारस के घाट किनारे बने हुए मंदिरों, मठों और भवनों को भी तोड़े जाने योजना है। लाल निशान लगाए गए हैं। इसका हम आपके प्रेस के माध्यम से पुरजोर विरोध करते हैं और सरकार व नागरिकों को सचेत करना चाहते हैं कि विकास के नाम पर लोगों को बेघर करना अनुचित है।
आपके माध्यम से जिला प्रशासन और सरकार को हम चेतावनी देना चाहते है कि हमारा सत्याग्रह अनवरत जारी है। आगामी 8,9,10 अगस्त को बनारस में देशभर से गांधीवादी व सामाजिक कार्यकर्ता आ रहे है। जिसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, डा सुनीलम, प्रो0आनंद कुमार, रघु ठाकुर, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल आदि लोग मौजूद रहेंगे। बनारस में विरोध प्रदर्शन के साथ साथ पूरे देश में सत्याग्रह चलाया जाएगा.