ज्ञानवापी परिसर के पहले दिन का सर्वे पूरा, ASI टीम ने चिन्हित किया सर्वे का स्थान...
ज्ञानवापी परिसर के पहले दिन का सर्वे शाम पांच बजे तक चला. एएसआई टीम ने पहले दिन सर्वे के स्थानों को चिन्हित किया है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज होने के बाद शुक्रवार शाम पांच बजे तक ASI टीम ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया है. पहले दिन के सर्वे का काम शाम पांच बजे तक हुआ. 41 सदस्यीय टीम ने पहले दिन के सर्वे का काम पूरा कर ज्ञानवापी परिसर से बाहर निकल गए है. जुमे की नमाज को लेकर दोपहर साढ़े 12 बजे से दो बजे तक सर्वे का काम रोका गया था. पहले दिन का सर्वे पूरा होने के बाद बाहर निकले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने बताया की सर्वे ने आज अपनी भूमिका तय कर ली है. उन्हे किन बिंदुओं पर सर्वे करना है और किन दिवालों और किन कलाकृतियों का सर्वे करना है इसका निर्धारण हो गया है.
उधर अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा है की ASI सर्वे से बहुत कुछ साफ हो जाएगा, इससे सच्चाई सामने आएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा है की इसमें दखल की कोई जरूरत नहीं. एससी ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा की हाईकोर्ट ने सोचकर फैसला दिया है. वहीं एससी ने यह भी कहा की ASI के एडीजी का बयान हमने रिकॉर्ड पर रखा है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को यह भी कहा है की सर्वे को रोकने के लिए प्लेसेस ऑफ वार्सिप एक्ट का हवाला न दें.
उधर चार अगस्त को वाराणसी जिला जज की अदालत में भी सुनवाई हुई. कोर्ट ने एएसआई का सर्वे रिपोर्ट सौंपने के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए अगस्त के अंतिम सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.
अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने की अपील
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को रोकने से इंकार करने के बाद शुक्रवार शाम पांच बजे अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एस. एम. यासीन का बयान आया है. एस. एम. यासीन ने कहा की सर्वे पर स्थगन आदेश देने से इंकार से उपजी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए एएसआई के साइंटिफिक सर्वे में सहयोग करेंगे और आशा करते हैं माननीय न्यायालय के दिशा-निर्देश का निष्पक्ष तरीके से पालन होगा तथा हमारी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. साथ ही हमारे धार्मिक अधिकार जो शीर्ष अदालत ने अपने 17 मई 2022 के फैसले से सुरक्षित रहेंगे.
अतः हम सभी से अपील करते हैं कि इस फैसले का सम्मान करते हुए पूर्ण रूप से शांति-व्यवस्था बनाए रखें. अफवाहों पर कतई ध्यान न दें, लोगों के बयानबाजी को नजर अंदाज करते रहें. इसी में सब की भलाई है. शांति -संयम-सद्भाव का मूल मंत्र को हम मजबूती से पकड़े रहें.