जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संत समिति का सवाल: बोले ऐसे तो हिंदुओं को न सैनिक मिलेंगे और ही न संन्यासी...!
वाराणसी, भदैनी मीरर। अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने योगी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कहा कि यह बहुत अच्छा है लेकिन इस कानून में कई विसंगतियां है। इसके लिए पुनर्विचार की आवश्यकता है। सवाल पूछते हुए कहा कि इस कानून को हिन्दू तो मान लेगा लेकिन उनके लिए क्या जो चार शादी से 14 बच्चे पैदा करने वाले है। उन्हें न तो सरकारी योजना का लाभ चाहिए और न ही उन्हें नौकरी की जरुरत है। दूसरी सवाल यह कि गर्भवती को 6 हजार और नसबंदी के लिए 2 हजार रुपए देने का प्रावधान है तो ऐसे में कोई नसबंदी क्यों करवाएगा? सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब हिन्दू एक ही बच्चा पैदा करेंगे तो कोई अपने एकलौते संतान को न तो सेना में भेजना चाहेगा और न ही सन्यासी बनाएगा।
स्वामी जितेंद्रनाद ने कहा कि 4 शादियों से 14 बच्चे पैदा करने वालों के पास अगर नागरिकता होगी, आधार कार्ड होगा और वोटर आइडी कार्ड होगा तो अपने संख्या बल के दम पर आज नहीं तो कल वो ही इस लोकतांत्रिक प्रदेश और देश के शासक होंगे। उनको नौकरी और सरकार की योजनाओं का लाभ व सुविधाएं नहीं चाहिए। फिर इनके लिए क्या प्रावधान है, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की बारीकियों पर एक बार गंभीरता से पुनर्विचार कर निर्णय लें। अन्यथा यह कानून लाभप्रद कम और हिंदू समाज के लिए घातक ज्यादा साबित होगा।
स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की बात की जा रही है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यदि किसी के 2 से ज्यादा बच्चे पैदा होंगे तो उस व्यक्ति को सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेगी। हम यह भूल जाते हैं कि यह देश लोकतांत्रिक है। जो लोग जिहाद, लव जिहाद जैसे माध्यमों से इस देश की भू-सांस्कृतिक अवधारणा को बिगाड़ने में लगे हुए हैं, वह सरकारी नौकरी कतई नहीं पाना चाहते। उन्हें सरकारी सुविधाएं भी नहीं चाहिए। ऐसे लोगों के बच्चे जकात के पैसे से पल-बढ़ जाएंगे। ऐसे में तो वह बच्चे पैदा करते ही रहेंगे और फिर कानून का क्या मतलब निकलेगा।