BHU के ट्रॉमा सेंटर में दो युवकों का हंगामा : हॅास्पिटल कर्मियों संग की बतमीजी, कार्रवाई की मांग
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के ट्रॉमा सेंटर में बुधवार को इमरजेंसी वार्ड में घुसकर दो युवकों ने हंगामा किया. आरोप है कि विवेक राय और आशीष पांडे नामक दो शख्स ने अस्पताल की शांति भंग करते हुए कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार और सुरक्षा कर्मियों को धमकाने की कोशिश की
वाराणसी, भदैनी मिरर। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के ट्रॉमा सेंटर में बुधवार को इमरजेंसी वार्ड में घुसकर दो युवकों ने हंगामा किया. आरोप है कि विवेक राय और आशीष पांडे नामक दो शख्स ने अस्पताल की शांति भंग करते हुए कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार और सुरक्षा कर्मियों को धमकाने की कोशिश की. यह घटना तब हुई, जब प्रो. सौरभ सिंह, अस्पताल के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित सदस्य, नियमित ट्रायेज राउंड्स का नेतृत्व कर रहे थे.
जानकारी के अनुसार, दोनों व्यक्तियों ने अस्पताल की कार्यप्रणाली में बाधा डालने की कोशिश की और प्रो. सिंह पर दबाव डालते हुए बिहार के एक मंत्री से फोन पर बात करने को मजबूर किया. जब प्रो. सिंह ने इस बातचीत से इंकार किया, तो दोनों आक्रामक हो गए और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें धमकियां देने लगे.
अस्पताल प्रशासन ने की कार्रवाई की मांग:
इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने उत्तर प्रदेश अदेश मेडिकेयर प्रोटेक्शन अधिनियम, 2013 (UPMPA) के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में विवेक राय और आशीष पांडे द्वारा अस्पताल की कार्यप्रणाली में बाधा डालने और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार का जिक्र किया गया है.
अस्पताल में लगातार बढ़ रही अव्यवस्था:
प्रशासन ने चिंता जताई है कि कुछ लोग, जो खुद को छात्र नेता और स्थानीय गुंडे बताते हैं, लगातार अस्पताल परिसर में अव्यवस्था फैला रहे हैं. ये समूह डॉक्टरों को धमकाने, कर्मचारियों के साथ मारपीट करने और स्वास्थ्यकर्मियों को परेशान करने जैसी घटनाओं में लिप्त रहे हैं.
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से की अपील:
अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा समुदाय ने प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है। उन्होंने BHU और AMU जैसे संस्थानों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) या सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की मांग की है, ताकि इन शिक्षण संस्थानों में असामाजिक तत्वों से निपटा जा सके और मरीजों और चिकित्सा कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं से डॉक्टरों का मनोबल गिर रहा है और मरीजों की सुरक्षा भी खतरे में है, जो इस अव्यवस्था के सबसे बड़े शिकार हैं