कांग्रेस यूपी अध्यक्ष को एक और मामले में राहत, जीएसटी कानून के विरोध से जुड़ा है मामला...

जीएसटी बिल के विरोध को लेकर धरना-प्रदर्शन करने व प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत मिल गई

कांग्रेस यूपी अध्यक्ष को एक और मामले में राहत, जीएसटी कानून के विरोध से जुड़ा है मामला...

वाराणसी, भदैनी मिरर। जीएसटी बिल के विरोध को लेकर धरना-प्रदर्शन करने व प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत मिल गई. इस मामले में अजय राय के अधिवक्ता अनुज यादव ने एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज करने और विवेचना कर आरोप पत्र प्रेषित करने तथा मजिस्ट्रेट द्वारा इस पर संज्ञान लेने पर आपत्ति दर्ज कराया था कि 188 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज नहीं हो सकता, इसमें केवल परिवाद दाखिल हो सकता है. जो 195 सीआरपीसी से बार है।

अधिवक्ता के इस कथन पर एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने पर इससे क्षुब्ध होकर उक्त एफआईआर और आरोप पत्र को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 188 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर तथा आरोप पत्र को निरस्त कर दिया. उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति एमपी-एमएलए के कोर्ट में दाखिल की गई. जिस पर कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए अजय राय के खिलाफ लंबित इस मुकदमे को निरस्त करते हुए पत्रावली को दाखिल दफ्तर किए जाने का आदेश पारित किया.

प्रकरण के अनुसार तत्कालीन लहुराबीर चौकी प्रभारी अमरेंद्र कुमार पाण्डेय ने एक जुलाई 2017 को चेतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आरोप था कि 30 जून 2017 के मध्यरात्रि पूरे देश में लागू होने वाले जीएसटी कानून के विरोध में पूर्व विधायक अजय राय के नेतृत्व में 50-60 अज्ञात व्यक्ति दोपहर 12 बजे सरकार के खिलाफ आक्रामक नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला लेकर फूंकने के लिए लहुराबीर चौराहे पर आए. इस पर जब पुलिस ने उन्हें जनपद में धारा 144 सीआरपीसी लागू होने का हवाला देकर रोकते हुए पुतला छीनने का प्रयास करने लगी. इसी दौरान पहले से साथ लाए गए पेट्रोल को दूर से फेंक कर पुतला जला दिया गया. जिसके बाद अजय राय समेत 50-60 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. बाद में विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिया गया था. इसी मामले में कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश चौबे को एसीजेएम/एमपी-एमएलए कोर्ट उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने 18 अगस्त 2022 को दोषी पाने 200 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी.