Nati Imli Bharat Milap : 14 वर्षों के वनवास के बाद हुआ चारों भाई का मिलन, सजल हुए नयन
लक्खा मेलों में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप देखने के लिए रविवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा.
वाराणसी, भदैनी मिरर। लक्खा मेलों में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप देखने के लिए रविवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा. हर साल की तरह इस वर्ष भी जैसे ही शाम के 4 बजकर 40 मिनट हुए श्रीराम और लक्षमण भाई भरत और शत्रुघ्न से मिलने के लिए लीलास्थल दौड़ पड़े। भाइयों के इस मिलाप को देखकर लाखों की तादात में उमड़े लोगों की आंखे सजल हो गई पूरा इलाका राजा रामचंद्र की जय से गुंजायमान हो गया.
लीला देखने पहुंचे श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि काशी की कुछ ऐसी पारंपरिक लीलाएं है, जिसे देखने के लिए किसी को आमंत्रण नहीं देना होता है. बताया कि यह मान्यता है भगवान आज स्वयं मूर्ति रुप में विराजमान होते है. यह लीला मेधा भगत द्वारा शुरु किया गया है, जो गोस्वामी तुलसीदास जी के समकालीन महात्मा थे. उन्ही की प्रेरणा से यह लीला शुरु किया था. बताया कि आखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा होने वाले रामलीला आज नहीं होती, मान्यता है कि गोस्वामी जी खुद इस लीला ने आया करते थे. जनमानस में यह विश्वास है कि आज भगवान स्वयं यहां मौजूद रहेंगे उसी का दर्शन करने के लिए लोग यहां मौजूद रहते है.
शाही सवारी के साथ पहुंचे काशी नरेश
इसके पहले अपनी शाही सवारी पर सवार होकर महाराज कुंवर अनंत नारायण सिंह लीला स्थल पहुंचे और देव स्वरूपों को दर्शन दिया. इसके बाद उन्होंने देव स्वरूपों को सोने की गिन्नी भेंट स्वरुप प्रदान की और वहीं रूककर लीला को देखा और वहां से रवाना हो गए.
14 वर्ष के वनवास बाद श्रीराम पहुंचे नाटी इमली मैदान
चित्रकूट की रामलीला में परंपरा अनुसार आश्विन शुक्ल एकादशी को भरत मिलाप का आयोजन हुआ. 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम दशानन का वध करने के बाद अयोध्या की ओर लौटते हैं. पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान पर सवार होकर मर्यादा पुरुषोत्तम शनिवार को दोपहर बाद पौने चार बजे नाटी इमली स्थित भरत मिलाप मैदान पर पहुंचे.
भरत के प्रण की श्रीराम ने रखी लाज
भगवान हनुमान ने प्रभु के आने की सूचना अयोध्या में भरत और शत्रुघन को दे दी। सूचना मिलते ही दोनों अनुज राम लीला मैदान बड़ा गणेश से नंगे पांव दौड़ते हुए नाटी इमली के भरत मिलाप मैदान पर पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद भगवान को देख दोनों भाई साष्टांग करते हैं.भरत के प्रण के अनुसार अगर सूर्यास्त से पहले श्रीराम नहीं मिले तो मैं प्राण त्याग दूंगा.इसको देखते हुए भगवान भी सूर्यास्त से पहले अपने अनुज से मिलने के लिए पहुंच जाते हैं.
यादव बंधुओं ने उठाया पुष्पक विमान
एक ओर लीला हो रही थी पीछे मंच पर मानस मंडल के प्रेमी चौपाइयों का पाठ कर रहे थे. आयोजकों द्वारा रामदरबार की आरती उतारी गई। इसके बाद 473 साल की परंपरा के अनुसार यदुवंशियों ने पुष्पक विमान को कंधे पर उठाया और अयोध्या के लिए रवाना हो गया.
बता दें कि, नाटी इमली के भरत मिलाप की अलौकिक लीला देखने के लिए सुबह 11 बजे से ही लोगों का जुटना शुरू हो गया था. शाम के समय लीला प्रारंभ होने के पहले ही इलाके की सड़कों से लेकर मकानों की छतों तक लोगों की भीड़ जुटी रही.