गंगा के अर्धचंद्राकार स्वरुप को खत्म करना चाहती है मोदी सरकार: अजय राय

गंगा के अर्धचंद्राकार स्वरुप को खत्म करना चाहती है मोदी सरकार: अजय राय

वाराणसी, भदैनी मिरर। गंगा पार रेती में हो रहे नहर निर्माण का असर सीधे गंगा के स्वरुप पर पड़ेगा इसकी चेतावनी वैज्ञानिकों द्वारा दिये जाने के बाद भी मोदी-योगी सरकार मानने को तैयार नहीं है। सरकार काशी के स्वरुप से छेड़खानी कर रही है। यह बातें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने कही। उन्होंने कहा कि काशी में आदि-अनादि काल से अर्द्ध चंद्राकार में प्रवाहित हो रही मोक्षदायिनी पवित्र माँ गंगा के स्वरूप को राज्य और केंद्र सरकार खत्म करना चाहती है। 


अजय राय ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने गंगा के नाम पर अब तक सिर्फ जनता को ठगा है। गंगा का जल बदहाल स्थिति में है। नालों के गिरने का क्रम आज तक जारी है और अब यह सरकार उस पार नहर का निर्माण कर रही है। जिसका सीधा प्रभाव माँ गंगा के वतर्मान स्वरूप पर पड़ेगा। विशेषज्ञयों के अनुमति के बिना यह सरकार ने गंगा के मूल रूप से खिलवाड़ किया है। इसका सीधा मतलब यह है की वर्तमान सरकार बाजारीकरण के लिए यह कार्य कर रही है। सफाई के नाम पर इस सरकार ने सिर्फ लूट मचाया है। सन्त रविदास घाट के निकट गंगाजल काला हो गया है। गंगा का प्रवाह अत्यंत मंद हो गया है। कई घाटो पर गंगाजल इन दिनों हरा दिख रहा है। जलस्तर पहले की अपेक्षा नीचे जाता दिख रहा है और कई जगहों पर तो सीढ़ियों से गंगाजल का सम्पर्क ही टूट गया है। 

 इन सब समस्याओं को ताख पर रखकर यह सरकार फिजूल खर्च कर बाजारीकरण के उद्देश्य से उस पार रेती पर नए नहर का निर्माण कार्य करने में जुटी है। इस विषय पर गंगा वैज्ञानिको,विशेषज्ञ व अन्य जानकारों ने भी अपनी चिन्ता व्यक्त की परन्तु यह सरकार नहीं सुन रही। गंगा के समानांतर नहर बनाना विशुद्ध रूप से अमानवीय कृत्य है। नहर के आकार माँ गंगा के अस्तित्व के लिए काल के रूप में है। करोड़ो रूपये खर्च कर यह सरकार नए समस्याओं को जन्म दे रही है। मोदी-योगी सरकार ने सिर्फ जनता को भ्रमित किया है और काशी को लूट का अड्डा बना दिया। 

सवाल उठाया कि सरकार अभी तक स्पष्ट नही कर पा रही की उस पार नहर बनाने से क्या फायदा होगा? यह सरकार काशी की जनता को अंधेरे में रखकर गुमराह करके काशी की अस्तित्व से खिलवाड़ कर रही है। अजय राय ने मांग किया की उस पार नहर का कार्य तत्काल प्रभाव से बन्द हो व माँ गंगा के मूल-स्वरूप पर कार्य हो।