गरीबों के पेट की ज्वाला शांत करने वाले रोटी बैंक के संस्थापक किशोरकांत का निधन, समाजसेवा क्षेत्र का चमकता तारा टूटा, पढ़े सोशल मीडिया पर उसका अंतिम पोस्ट...

गरीबों के पेट की ज्वाला शांत करने वाले रोटी बैंक के संस्थापक किशोरकांत का निधन, समाजसेवा क्षेत्र का चमकता तारा टूटा, पढ़े सोशल मीडिया पर उसका अंतिम पोस्ट...


वाराणसी,भदैनी मिरर। कोरोना संक्रमण की खतरनाक स्थिति का आंकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि इस वक्त केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा भी अपनी जान गवां रहे है। काशी के गरीब तबकों का भूख मिटाने वाला युवा समाजसेवी किशोरकांत अब इस दुनिया में नहीं है। तबियत बिगड़ने पर मंगलवार की देर रात काफी मशक्कत से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकशंकर तिवारी ने किशोरकांत को रविन्द्रपुरी स्थित अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहा उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई।


युवावस्था के किशोरकान्त ने अपनी जिंदगी समाजसेवा के नाम कर दी थी। काशी में कोई भूखा न सोए का का सपना संजोए किशोरकान्त हर रोज शाम को गाड़ी से अपने सहयोगी रौशन जायसवाल के साथ उन गरीबो का भूख मिटाने चल पड़ते थे जो बाहरी जनपदों से आकर यहां मजदूरी करते या भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते थे। जनपद के लेबर मंडियों में किशोर का नाम 'रोटी वाले भईया' के नाम से मशहूर था।


शुरु कराई थी नेक पहल

भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए किशोरकांत ने एक नेक पहल शुरु की थी। मूलरुप से बिहार और बनारस में लंका महेशनगर, सामनेघाट निवासी किशोर का कहना था कि जो भोजन कूड़े में जायेगा क्यों न उससे किसी के पेट की भूख शांत की जाए। यही सोच उन्हें महान बनाती थी। तेरहवीं, बर्थडे, शादी-विवाह या किसी भी कार्यक्रम में बचे हुए भोजन को इक्कठा करके किशोर उससे गरीबों का पेट भरते थे। 


शुरु कर दी थी रसोई


किशोर ने एक-एक रुपये की जनता से मदद लेकर गरीबों के लिए ताजा भोजन की व्यवस्था करने के लिए किशोरकान्त ने रामनगर में रसोई की भी व्यवस्था कर दी थी। इन दिनों किशोर यही से जनता के लिए भोजन तैयार करवाते थे। पिछले कुछ दिनों से किशोर टायफाइड से ग्रसित थे। दो दिन पूर्व ही किशोर ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा था कि 'मेरे हालात ठीक नहीं है आप लोग अपना ध्यान रखिए जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले।' उस वक्त किसी ने यह नहीं समझा कि किशोर का साथ अब चंद दिनों का ही बचा है।