IIT-BHU मामला: कक्षाओं का बहिष्कार कर छात्रों ने कैंपस में निकाली आक्रोश रैली, मुख्यद्वार पर बैठी छात्राओं की यह है मांग...
आईआईटी-बीएचयू और बीएचयू कैंपस के विभाजन की चर्चा शुरु होते ही विश्वविद्यालय के छात्र आक्रोशित है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। आईआईटी-बीएचयू और बीएचयू कैंपस के विभाजन की चर्चा शुरु होते ही विश्वविद्यालय के छात्र आक्रोशित है. घटना के तीसरे दिन शनिवार को छात्र अपनी कक्षाओं का वहिष्कार कर परिसर में जनसंपर्क किया. वहीं, छात्राएं आरोपी की गिरफ्तारी की मांग और परिसर के विभाजन के विरोध में बीएचयू सिंहद्वार पर धरने पर बैठी है.
छात्रों ने निकाली आक्रोशित रैली
विभाजन के खिलाफ महामना की तस्वीर और बीएचयू के झंडे के साथ छात्रों ने आक्रोशित रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज किया है. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का दीवाल खड़ा करने का निर्णय बिलकुल ठीक नहीं है. प्रशासन अपने निर्णय पर फिर से विचार करे अगर नहीं विचार करता है तो छात्रों की आक्रोशित रैली और धरना ऐसे ही चलता रहेगा. विधि संकाय, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, सामाजिक विज्ञान संकाय, कला संकाय, वाणिज्य संख्याएं तथा कृषि संस्थान से अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करके आक्रोश मार्च निकाला. छात्रों का कहना था कि छात्र चाहे बीएचयू के हो या आईआईटी के सभी सुरक्षा सुनिश्चित होना चाहिए.
छात्र नेता मृत्युंजय तिवारी आज़ाद ने कहा कि परिसर का विभाजन मदनमोहन मालवीय के मूल्य पर कुठाराघात करना है. विश्वविद्यालय प्रशासन को तत्काल प्रभाव से स्पष्टीकरण देना चाहिए कि किस अधिकार से बीएचयू को खंडित करना चाहते हैं? उनकी मनसा बीएचयू हित में नहीं है इसके लिए हम लोग लगातार विरोध दर्ज करते रहेंगे. वहीं, शोध छात्र पतंजलि ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन विखंडनवादी मानसिकता का है, जिसका महामना परिवार विरोध करेगा तथा लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई लड़ता रहेगा.
आरोपियों की हो तत्काल गिरफ्तारी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सिंहद्वार पर छात्र-छात्राओं का धरना दूसरे दिन शनिवार भी जारी है. धरने पर बैठे सभी छात्राओं ने आईआईटी की छात्रा के साथ हुई अश्लील हरकत की निंदा करते हुए सभी आरोपियों के गिरफ्तारी की मांग की है. इसके साथ ही धरनारत छात्राओं ने बताया कि विगत 1 नवंबर को बीएचयू कैंपस में हुए यौन हिंसा की शर्मनाक घटना तथा कैंपस में दीवार उठाने के प्रशासनिक निर्णय के खिलाफ है. आए दिन छेडखानी एवं यौन उत्पीड़न की घटनाएं हमारे कैंपस में भी हो रही हैं लेकिन असंवेदनशील प्रशासन इन्हें लगातार नजरअंदाज कर रहा है. जब ये मामले फिर से फलक पर आए हैं तब हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय प्रशासन द्वारा कैंपस में दीवारें खड़ी कर इसे बांटने का प्रयास किया जा रहा है. छात्रों का मानना है कि हमारे कैंपस में एक ऐसी बॉडी होनी चाहिए जो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई हो और वह प्रभावी तरीके से यौन उत्पीड़न के मामलों पर काम करे. बीएचयू में GSCASH लागू किया जाए जो ऐसे मामलों के निपटारे के साथ साथ लैंगिक संवेदनशीलता और जागरूकता फैलाने का भी काम करे.