बरेली जेल से रिहा हुए जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह, बोले- मुझ पर दर्ज हुआ था फर्जी केस, सीधा जनता के बीच जाऊंगा...
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह बुधवार 1 मई को बरेली जेल से रिहा हुए.
लखनऊ, भदैनी मिरर। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह बुधवार 1 मई को बरेली जेल से रिहा हुए. उन्हे बीते शनिवार (27 अप्रैल) को जमानत मिली थी. कोर्ट का आदेश पहुंचने के बाद रिहा किया गया. वह जेल से बाहर आते ही सही पहलुओं को जनता के सामने लाने के लिए मीडिया को धन्यवाद कहा. इस दौरान धनंजय सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए हमारे ऊपर वर्ष 2020 में फर्जी नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए थे. उन्होंने कहा कि हमारी पत्नी बसपा की टिकट से चुनाव लड़ रही है, मैं सीधे जनता के बीच जाऊंगा.
हाईकोर्ट में की थी आपराधिक पुनरीक्षण अपील
जौनपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके एक अन्य साथी को नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण मामले में सात साल की सजा सुनाई थी. उसी सजा के खिलाफ धनंजय सिंह के अधिवक्ताओं ने आपराधिक पुनरीक्षण अपील में सजा निरस्त करने की मांग की गई. पूर्व सांसद का कहना था कि अपील निस्तारण तक सजा का आदेश स्थगित रखने के साथ उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. कोर्ट ने सजा का आदेश स्थगित करने से इंकार कर दिया था, लेकिन उन्हें जमानत दे दी थी.
यह था पूरा प्रकरण
अभियोजन के मुताबिक मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 गई 2020 को लाइन बाजार (जौनपुर) थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे. वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए, वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे. वादी के इंकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा. किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया. पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया. कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था.