गोपाष्टमी पर काशी के धर्मसंघ में संतों संग प्रबुद्धजनों ने किया गायों का पूजन, बोले संत - गऊ हत्या बंद होने से भारत बनेगा विश्वगुरु...
धर्म नगरी काशी में गोपाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण गौचारण के लिए पहली बार निकले थे, तब से लेकर आज तक गोपाष्टमी का दिन गौ माताओं को समर्पित रहता है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। धर्म नगरी काशी में गोपाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. तमाम गोशालाओं में गायों का श्रृंगार-पूजन किया गया. गायों की आरती कर संतों ने कहा की समस्त देवों का वास गाय में है, भगवान श्री कृष्ण की तो अतिप्यारी थी गाय माता। संतों ने कहा की धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महराज कहते थे - गऊ से यदि धरती पर दुर्दशा होता तो संपूर्ण जीव दुर्दशा के शिकार होंगे.
गऊ हत्या बंद होने पर ही बनेगा भारत विश्वगुरू
पूजन अर्चन के बाद धर्मसंघ मंदिर के जगजीवन महराज ने कहा की गोपाष्टमी के दिन ही पहली बार गौचारण कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण निकले थे. तब से आज तक आज का दिन गऊ माता को समर्पित रहता है. आज गौ माता का पंच द्रव्यों से स्नान कराकर उनका श्रृंगार करके राजराजोपचार से पूजन किया गया है. उन्होंने कहा की भारत में सभी तरह से सांस्कृतिक धार्मिक केंद्र हैं गौ माता है. उन्होंने कहा की धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते रहे लेकिन दुर्भाग्य से आज तक गौ हत्या पर प्रतिबंध नहीं लग पाया. हमारी यही कोशिश है की गौ हत्या पर प्रतिबंध लगे जिस दिन ऐसा हो गया भारत पुनः विश्व गुरु कहलाएगा.
गौ माता के रोम रोम में है देवता का वास
भक्त जीवन राम ने कहा की भारतीय संस्कृति में गौ का बहुत बड़ा महत्व है. गौ के मूत्र , दूध, घृत आदि से पंच गव्य बनता है. किसी कार्य में यदि मनुष्य अपवित्र होता है तो इन्ही पंच गव्यों से उसे पवित्र किया जाता है. अभी वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा गया है की पंचगव्य के जो गोबर हैं अगर उन्हें लीपकर कहीं हम निवास करते हैं तो अनेकों प्रकार के कीटाणु वहां से जैसे कोविड 19 भी था ऐसे कीटाणु का नाश करती है. ऐसी गौ की महिमा है और गौ की प्रत्येक वस्तु हमारे संस्कृति में बड़ा ही महत्व है. इसलिए महराज जी ने भी कह की गौ हत्या पर प्रतिबंध लगना चाहिए और हमे संकल्प लेना चाहिए गौ माता की रक्षा का ताकि पूरे विश्व में उनका सम्मान हो, क्योंकि गौ माता के रोम रोम में देवता का वास होता है.