काव्यार्चन के आठवें संस्करण में हुआ विविधता पूर्व काव्यपाठ...
सुबह-ए-बनारस आनंद कानन के घाट संध्या प्रकल्प के अंतर्गत होने वाले काव्यार्चन की आठवीं मासिक कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर पल्लवी विनोद की अध्यक्षता में हुआ.
वाराणसी, भदैनी मिरर। सुबह-ए-बनारस आनंद कानन के घाट संध्या प्रकल्प के अंतर्गत होने वाले काव्यार्चन की आठवीं मासिक कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर पल्लवी विनोद की अध्यक्षता में हुआ. इस संस्करण में कुल छह रचनाकारों ने विविधतापूर्ण काव्यपाठ किया.
अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए पल्लवी पांडेय ने नई शैली की कविता ‘विकल्पहीन’ के माध्यम से अपने भाव समाज के समक्ष रखे. उनकी कविता की बानगी कुछ यूं रही ‘जब तुम्हारे पास विकल्प हों, तब हो जाना विकल्पहीन,एकमात्र यही तरीक़ा है बेहतर के चुनाव का।’ इससे पूर्व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रवक्ता प्रताप शंकर दुबे के काव्यपाठ से काव्यार्चन की शुरुआत हुई.
उन्होंने अपनी गजल ‘आंखों में तिश्नगी की किसी को खबर न हो, दिल मुब्तला ए इश्क, मगर बेसबर न हो’ से कार्यक्रम को बेहतरीन शुरुआत दी. वरिष्ठ रचनाकार सूर्य प्रकाश मिश्र ने अपनी रचना ‘मेरी प्रत्यंचा के स्वर में कोई भीषण टंकार नहीं, पर अन्यायी का साथ मुझे मरतेदम तक स्वीकार नहीं’ से कई सवाल समाज के समक्ष खड़े किए. देवरिया से आमंत्रित रचनाकार दिव्या मिश्रा ने ‘आत्मविश्वासी मन’ कविता से अपना पक्ष रखा. विशेष आमंत्रित कवि रमेश पाठक ने भी अपनी भावपूर्ण रचनाओं से श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी. आरंभ में पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विनोद पांडेय ने दीप जला कर काव्यार्चन का शुभारंभ किया. रचनाकारों का स्वागत मंजू पाठक, संचालन डॉ.नगेश शांडिल्य, समन्वय रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’ एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रेमनारायण सिंह ने किया.