#Photos: सावन के पहले सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ पर दुग्ध-जल का अखंड धार, बह रही भक्ति की बयार, 90वें वर्ष निभाई गई यह परंपरा...

काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दर्शन को भक्तों का सैलाब दरबार में उमड़ गया है. दो साल बाद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची है. यादव बंधुओं ने 90वें वर्ष बाबा का जलाभिषेक कर परंपरा का निर्वहन किया.

वाराणसी,भदैनी मिरर। दो साल बाद शिवभक्तों को अपने आराध्य भुतभावन के जलाभिषेक करने का मौका मिला है. इस मौके को कोई भी श्रद्धालु छोड़ना नहीं चाहता है. सावन के पहले सोमवार को दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक करने के लिए रविवार रात से ही लंबी लाइन लग गई थी. हालांकि इस बार विश्वनाथ धाम का क्षेत्र बड़ा होने से दर्शनार्थियों को समस्याएं कम हो रही है. मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के स्वागत को रेड कार्पेट बिछाया गया है.  मंदिर प्रांगण में धूप से छाव की व्यवस्था की गई है. उधर रविवार को ही कावड़ियों का स्वागत मंदिर प्रशासन ने मंगलचरण से की. यादव बंधु भी प्रतीक चिन्ह झंडा और डमरू लेकर बाबा को 'तर' करने के लिए पहुंचे. यदुवंशियों का बच्चा बच्चा भी बाबा का जलाभिषेक किया. 

आकाल से शुरु हुई थी यादव बंधुओं के जलाभिषेक की परंपरा

देव नगरी काशी में सावन के प्रथम सोमवार को यादव बंधुओं द्वारा बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परम्परा निभाई गई. मान्यता है की यादव बंधुओं के जलाभिषेक करने से बाबा तर होते हैं और फिर वर्षा होती है. सन 1932 में शुरू परम्परा का निर्वहन अब तक हो रहा है. इस वर्ष 89 वर्ष पूर्ण होंगे. चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया की इसकी शुरुआत पांच यदुवंशियों ने की थी. काशी में शीतला गली निवासी भोला सरदार, कृष्णा सरदार, बच्चा सरदार तथा ब्रह्मनाल निवासी चुन्नी सरदार और रामजी सरदार घनिष्ठ मित्र थे. इन यदुवंशियों ने अकाल से रक्षा के लिए बाबा का जलाभिषेक सावन में किया था. काशीवासियों को अकाल से जूझते देख इन सभी ने संकल्प लिया कि यदि उनके जलाभिषेक के बाद वर्षा हो गई तो अगले वर्ष से संपूर्ण यदुवंशी समाज के साथ मिलकर हमेशा बाबा का अभिषेक करेंगे. इन पांचों ने समाज की पंचायत में अपनी मंशा व्यक्त की. समाज में तय हुआ कि यदि बारिश होगी तो अगले वर्ष से यदुवंशी परिवार का बच्चा-बच्चा अभिषेक करने जाएगा. उस समय के विख्यात कर्मकांडी पं. शिवशरण शास्त्री की सलाह पर अन्य प्रमुख शिवालयों में भी अभिषेक का निर्णय हुआ. उन पांच मित्रों ने गौरीकेदारेश्वर से लाट भैरव मंदिर के बीच विश्वनाथ मंदिर सहित कुल सात शिवालयों, एक भैरव मंदिर और एक शक्ति पीठ में जलाभिषेक किया. इन सभी के परिजन अब भी जलाभिषेक यात्रा से जुड़े हुए हैं.

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