सिरगोवर्धन में रविदास जयंती की तैयारियों का DM और CP ने किया निरीक्षण, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दिये निर्देश

सिरगोवर्धन स्थित संत रविदास जमस्थली पर इस वर्ष 5 फरवरी को संत रविदास जयंती मनाई जाएगी। इसको लेकर चल रही तैयारियां अंतिम चरण पर हैं। एक सप्ताह पहले सिरगोवर्धन क्षेत्र बेगमपुरा में तब्दील हो चुका है।

सिरगोवर्धन में रविदास जयंती की तैयारियों का DM और CP ने किया निरीक्षण, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दिये निर्देश

वाराणसी,भदैनी मिरर। सिरगोवर्धन स्थित संत रविदास जमस्थली पर इस वर्ष 5 फरवरी को संत रविदास जयंती मनाई जाएगी। इसको लेकर चल रही तैयारियां अंतिम चरण पर हैं। एक सप्ताह पहले सिरगोवर्धन क्षेत्र बेगमपुरा में तब्दील हो चुका है। लगातार अनुयायियों का जत्था वाराणसी पहुंच रहा है। उधर जिला प्रशासन ने भी तैयरियाँ पूरी कर ली है। 

जयंती पर होने वाली भीड़ को देखते हुए गुरुवार की दोपहर पुलिस कमिश्नर मूथा अशोक जैन, जिअलधिकारी एस राजलिंगम के साथ प्रशासनिक अमला सिरगोबर्धन पहुंचा। इस दौरान वह मंदिर परिसर एंव वहाँ तैयार हो रही अस्थाई आवासीय क्षेत्र, प्रवचन पण्डाल, भोजनालय कक्ष, मार्ग व बिजली व्यवस्था, अस्थाई अग्निशमन चौकियों व पुलिस हेल्प डेस्क आदि का जायजा लिए। मंदिर के ट्रस्टी द्वारा पुलिस कमिश्नर को जयंती में होने वाली भीड़ और कार्यक्रम की जानकारी के साथ ही जयंती के मुख्य कार्यक्रम की जानकारी दी गई। साथ ही सीएम के जंयती स्थल पहुंचने को लेकर तैयारियों पर चर्चा की। 


मजबूत है सुरक्षा व्यवस्था

सन्त रविदास जयंती की चल रही तैयरियों का जायजा लेने पहुँचे पुलिस कमिश्नर मूथा अशोक जैन ने बताया कि हर वर्ष यहाँ सन्त शिरोमणि के दर्शन के लिए तमाम राज्यों से काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत है। साथ ही सभी प्रशासनिक कर्मियों को उनकी ड्यूटियों पर भी लगा दिया गया है। महिलाओं के साथ भीड़ में कोई अभद्र कार्य या चेन स्नेचिंग की घटना घटित न हो इसके लिए सादे कपड़ों में भी पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा पूरा मेला क्षेत्र सीसीटीवी कैमरे की जद में होगा। इसके साथ ही अग्निशमन दल, एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है। 


ये है महिमा


मन चंगा तो कठौती में गंगा जैसा सहज ज्ञान देने वाले संत रैदास का जन्म संवत 1443 में माघ पूर्णिमा के दिन वाराणसी में हुआ था। बताया जाता है कि जूते बनाने का काम करने वाले संत रविदास ने साधु-संतों की संगत में आध्यात्मिक अर्जित कर कर्म को ही जीवन का महत्वपूर्ण मंत्र मान लिया। संत शिरोमणि ने इस नश्वर शरीर का त्याग 1540 में किया था। आत्मज्ञान, एकता, भाईचारे पर आधारित और जाति प्रथा जैसी कुरीतियों पर प्रहार करते उनके दोहे उनके अनुयायियों के लिए अमृत वचन बन गए। धीरे-धीरे उनके अनुयायी खुद को रविदासिया समुदाय का कहने लगे। वर्तमान में देश भर में रैदासिया समुदाय के अनुयायी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और मुख्य रूप से पंजाब में निवास करते हैं।