NEET परीक्षा में गड़बड़ी का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, फिर से परीक्षा कराने की मांग
इस साल नीट में हुई कथित धांधली का मामला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. NEET के रिजल्ट आए तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन छात्रों में असमंजस की स्थिति आज भी बरकरार है. लाखों बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि वे एनटीए (NTA) ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या उन्हें ही आखिरी मान लें, या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं? अब कुछ पीड़ितों ने न्याय की आस में देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
NEET Paper Leak Case: इस साल नीट में हुई कथित धांधली का मामला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. NEET के रिजल्ट आए तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन छात्रों में असमंजस की स्थिति आज भी बरकरार है. लाखों बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि वे एनटीए (NTA) ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या उन्हें ही आखिरी मान लें, या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं? अब कुछ पीड़ितों ने न्याय की आस में देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
नीट परीक्षा का मामला सुप्रीम कोर्ट (supreme court) पहुंच गया है. कथित गड़बड़ियों को लेकर फिर से परीक्षा कराने की मांग की गई है . NEET UG परीक्षा को कराने वाली संस्था है नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की अपनी दलील है कि इस साल प्रश्न पत्र आसान दे दिया गया था और ज्यादा परीक्षार्थियों के परीक्षा में एप्पियर होने के कारण इस तरह के बडे रिजल्ट आए, जिसमें बहुत सारे लोग टॉप कर गए हैं, यह देखने को मिला है .
इस साल 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया है. इन छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले हैं. आज तक कभी भी इतनी संख्या में एक साथ छात्र टॉपर नहीं हुए हैं. 2021 में तीन छात्र टॉप पर गए थे. आम तौर पर एक या दो छात्र ही टॉप कर पाते हैं, यानी नंबर वन की रैंक को वे शेयर करते हैं. अमूमन ऐसे एक, दो या अधिकतम तीन छात्र होते हैं. लेकिन इस बार 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया है .
एक ही परीक्षा केंद्र से आठ-आठ टॉपर
एनटीए के रवैये पर एक सवाल और खड़ा हो गया है. हरियाणा के झज्जर में एक ही परीक्षा केंद्र से आठ-आठ टॉपर निकल आए हैं. यह खबर सामने आने के बाद हरियाणा के जिंद में एडीशनल कमिश्नर के पास कुछ अभिभावकों ने शिकायत दर्ज कराई है और जांच की अपील की है. डॉ कृष्णा शर्मा ने इस मामले का खुलासा किया. उनका कहना है कि हैरानी की बात है कि जिस केंद्र से आठ टॉपर आए हैं उसी केंद्र के छात्रों को ग्रेस मार्क्स भी दिया गया है. डॉ कृष्णा शर्मा का कहना है कि NTA को अधिकार ही नहीं है ग्रेस मार्क्स देने का. इसके लिए कमेटी तक नहीं बनाई गई. यह क्राइटेरिया तय नहीं किया गया कि ग्रेस मार्क्स कितने देने हैं, किसको देने हैं और किस हद तक देने हैं. इस पर एडीशनल डिप्टी कमिश्नर का कहना है कि शिकायतें गंभीर हैं.
गड़बड़ियां रोकने के लिए NTA का गठन हुआ था
ऐसा नहीं है कि मेडिकल परीक्षा पर पहली बार सवाल उठे हैं. नौ साल पहले NEET का गठन नहीं हुआ था, तब आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) हुआ करता था. तब NTA नहीं बनी थी और इस परीक्षा का आयोजन CBSE खुद करती थी. उस वक्त आरोप लगे थे कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए धांधली की गई है. सवालों के जवाब परीक्षा केंद्र पर छात्रों को भेजे गए. सुप्रीम कोर्ट ने उस साल 15 जून को परीक्षा रद्द कर दी थी. कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया था. तब सरकार की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई कि 44 छात्र धांधली में शामिल थे और ऐसे में 6.3 लाख छात्रों से दोबारा परीक्षा नहीं दिलवाई जा सकती. इस पर तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर एक भी छात्र गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचता है तो पूरी एक्जाम प्रक्रिया बिगड़ जाती है. यह बात 2015 की है.
इसी तरह की हरकतों को रोकने के लिए बाद में NTA का गठन हुआ था, लेकिन अब 2024 के नतीजों ने वैसे ही सवाल फिर खड़े कर दिए हैं और खासकर NTA के कंडक्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं.