Covid संक्रमण काल में पत्रकार मिथिलेश धर ने सोशल मीडिया को बनाया हथियार, सही सूचना देकर ऑक्सीजन से लेकर बेड दिलाने में कर रहे मदद...
वाराणसी/भदैनी मिरर। कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में कोई अस्पताल में बेड ढूढ़ने में परेशान है तो कोई ऑक्सीजन सिलेंडर तो कोई जीवनरक्षक इंजेक्शन व दवा। ऐसे परेशान लोगों की कई लोग सोशल मीडिया पर मदद कर रहे हैं, उन्हीं में से एक हैं मूलतः भदोही के रहने वाले पत्रकार मिथिलेश धर दुबे। वे सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार सटीक सूचनाएं दे रहे हैं जिससे मरीजों को सही समय पर मदद पहुंच रही हैं।
देश के एक बड़े रूरल मीडिया संस्थान में बतौर चीफ रिपोर्टर कार्यरत पत्रकार मिथिलेश धर दुबे ट्विटर पर भदोही वाला के नाम से जाने जाते हैं जहां उनके लगभग 10 हजार फॉलोवर हैं। इस संकट की घड़ी में वे जरूरतमंदों तक वेरिफाइड लीड्स पहुंचा रहे हैं जिससे मरीजों के परिजन को बेड, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए भटकना नहीं पड़ रहा है। उनका पूरा वाल मदद वाली पोस्टों से भरा पड़ा है।
ऑफिस काम के बाद कर रहे लोगों की मदद
एक संस्थान में बतौर पूर्णकालिक पत्रकार काम करते हुए मिथिलेश पर उस संस्थान के कामों की जिम्मेदारी भी होती हैं, बावजूद इसके वह लोगों की मदद के लिए सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। मिथिलेश धर ने भदैनी मिरर को बताया, "मैं ज्यादातर सुबह और रात के समय सक्रिय रहता हूं, तब जब ऑफिस टाइम नहीं होता क्योंकि हमारा पहला काम लोगों की आवाज उठाना है। इसीलिए ज्यादातर काम ऑफिस के काम के बाद होता है। "
मिथिलेश के ट्विटर वाल पर जायेंगे तो वेरिफाइड लीड्स या दूसरों की मदद के ही पोस्ट मिलेंगे। उन पर आपको ऐसे तमाम कमेंट मिलेंगे, जिसमें लोग इन्हें शुक्रिया बोल रहे हैं या इनके काम को सराहा रहे हैं।
सोशल मीडिया के जरिए लोगों की मदद करने की जरूरत क्यों पड़ी? इस बारे में एक घटना का जिक्र करते हुए मिथिलेश बताते हैं, "कोरोना की दूसरी लहर के शुरुआती दिनों में मेरे एक साथी को ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए था। उसने मुझे फोन किया तो मैंने उसे व्हाट्सएप पर आये 15-20 नंबर भेज दीजिये।"
"मेरे दोस्त ने दो घंटे बाद फोन किया और मेरे ऊपर नाराज होते उसने कहा कि मैंने तुम्हारे दिए सभी नंबरों पर फोन किया, किसी बंद है तो किसी के पास ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है। कई नंबर तो फर्जी भी निकले। भाई ऐसा किसी और करना। इन शब्दों ने मुझे पर सोचने पर मजबूर कर दिया, और यहां से मैंने वही करना शुरू किया जो एक पत्रकार को करना चाहिए।" मिथिलेश धर आगे कहते हैं।
अपनी बात जारी रखते वे कहते हैं, "इसके बाद मुझे लगा कि सोशल मीडिया पर ऐसे हजारों नंबर्स घूम रहे हैं, जो दरअसल किसी की मदद नहीं कर रहे, उनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं। इसके बाद मैंने सोशल मीडिया नम्बरों को वेरिफाई करना शुरू किया। खुद कन्फर्म किया, फिर उसे शेयर करना शुरू किया। और जब लोगों के मैसेज आने आने लगे कि मेरा काम हो गया, लीडस् काम की है, तब अच्छा लगा। और यह काम अनवरत जारी है।"
पत्रकार मिथिलेश धर का ट्विटर एकाउंट वेरिफाइड होने की वजह से, जो लीड्स वह शेयर करते हैं उसकी विश्वसनीयता काफी बढ़ जाती हैं। ऐसे में लोगों तक मदद पहुंचाने में वेरिफाइड सोशल मीडिया एकाउंट की भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि वेरिफाइड एकाउंट्स से भ्रामक या गलत सूचनाएं नहीं शेयर हो रही हैं या की जाती हैं। सोशल मीडिया की यही तो खूबसूरती है। यहां एक सामान्य आदमी भी अपनी बात रख सकता है, बस बात पहुंचनी सही जगह चाहिए। ऐसे में मदद पाने या करने के लिए वेरिफाइड एकाउंट का होना बहुत जरूरी नहीं है।"
एक घटना का जिक्र करते हुए मिथिलेश बताते हैं,"आपको याद होगा जब दिल्ली से एक दिन खबर आई कि वहां के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गया है। तभी रात में मेरे लगभग 12 बजे एक आदमी का फोन आया जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी, वे मुझसे लीड पूछ रहे थे। उस समय मेरे पास कोई लिड्स नहीं थी। फिर मैंने लगभग 50 नंबरों पर फोन किया। लगभग डेढ़ बजे तक मेहनत करने के बाद पता चला कि दिल्ली की एक मस्जिद में फ्री ऑक्सीजन रिफ;रिफलिंग हो रही है। मैंने तुरंत उस आदमी को फोन किया। उस आदमी ने मुझे सुबह 6 बजे फोन करके बताया कि सिलेंडर रिफिल करा लिया है और वे फोन पर रोने लगे। तब मुझे लगा कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचनी बहुत जरूरी है।"
आराम करने का नहीं मिल पाता समय
सोशल मीडिया के जरिए लोगों की मदद करने का असर उनके दैनिक दिनचर्या पर भी पड़ा। उन्हें सोने और रेस्ट करने का समय नहीं मिल पाता है। वे कहते हैं, "ऑफिस के बाद इस काम में लग जाता हूं। फिर यह भी सोचता हूँ कि जब अपने लोग संकट में हो तो आराम कैसे किया जा सकता है। अगर हमारे थोड़ कष्ट से किसी की मदद हो सकती है तो प्राथमिकता उसे मिलनी चाहिए।"
मदद करने के दौरान ट्विटर एकाउंट हुआ था सस्पेंड
ट्विटर एकाउंट से लोगों की मदद करने के बीच मिथिलेश धर का एक बार ट्विटर एकाउंट कुछ घंटों के लिए सस्पेंड हो गया था। इसका कारण पूछने पर वे बताते हैं, "ट्विटर एकाउंट संस्पेंड होने का कारण मास रिपोर्ट था, क्योंकि सत्ताशीन पार्टी के एक बड़े नेता की लापरवाही की वजह से एक युवा की मौत हो गयी थी। मैंने इस पर सोशल मीडिया पर लिख दिया था। ये बात शायद उन्हें नागवार लगी और उनके लोगों ने मेरी आईडी को रिपोर्ट कर दिया।"
सोशल मीडिया पर लीड्स के जरिए लोगों की मदद करने वालों को मिथिलेश सलाह देते हुए कहते हैं, "लीड्स देने से पहले हमें खुद उनकी जांच करनी चाहिए और खुद अपडेट लेते रहना चाहिए कि इस केस में मदद पहुंची की नहीं। कई बार तो लोग मदद मांगकर भूल जाते हैं। ऐसा कतई ना करें।"