बोले महंत संकटमोचन अनुष्ठान के रुप में है ध्रुपद मेला, कलाकारों का संरक्षण सामर्थ्यवानों का दायित्व...

बोले महंत संकटमोचन अनुष्ठान के रुप में है ध्रुपद मेला, कलाकारों का संरक्षण सामर्थ्यवानों का दायित्व...

वाराणसी, भदैनी मिरर। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके काशी के तुलसीघाट पर आयोजित होने वाले 47 वें वर्ष के ध्रुपद मेले का उद्घाटन सोमवार को कर दिया गया। चार निशा चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पदमश्री डॉ राजेश्वर आचार्य तथा ख्यात कलाकार डॉ ऋत्विक सान्याल ने दीप प्रज्जवलन से किया। इससे पूर्व पं स्वर्णप्रताप चतुर्वेदी के आचार्यत्व में पं. पंकज,  हेमंत, जयशंकर, रमेश एवं कीर्तिनाथ ने वैदिक मंगलाचरण किया। ध्रुपद मेला के संयोजक प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कोविड काल में आयोजन की रूपरेखा को सीमित करने के विवशता की चर्चा के साथ ही आयोजन के वैश्विक महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोविड काल में संगीत साधकों ने सबसे कठिन दौर बिताया है। ऐसे में समाज के समर्थ लोगों का नैतिक दायित्व है कि वे इस विपदाकाल में कलाकारों के संरक्षण का दायित्व निभाएं। उन्होंने कहा कि कोविड़ महामारी फैलने से पहले ध्रुपद अपने विराट रुप में हुआ और इस वर्ष भी उसी मंच से हो रहा है इसे हम अनुष्ठान के रूप में देखते है। 

ध्रुपद मेला के संस्थापक सदस्य पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने इस आयोजन को विश्वस्तरीय बनाने वाले पूर्वाचार्यों सुरबहार वादक गुरु प्रो. लालमणि मिश्रा, पखावज गुरु महंत पं अमरनाथ मिश्र,  महंत प्रो. वीरभद्र मिश्र तथा काशी नरेश डॉ विभूति नारायण सिंह की यशकाया को नमन किया। डॉ ऋत्विक सान्याल ने ध्रुपद मेले के आयोजन की यात्रा को ध्रुपद के प्रसार संवर्धन का प्रतीक बताया।