खामोश हुई बिरजू महाराज की पदचाप! शोक में डूबी काशी, PM ने भी जताया दुख...

खामोश हुई बिरजू महाराज की पदचाप! शोक में डूबी काशी, PM ने भी जताया दुख...

वाराणसी, भदैनी मिरर। कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का हार्ट अटैक की वजह से रविवार की देर रात निधन हो गया है। पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने दिल्ली में अंतिम सांस ली। उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने यह जानकारी दी। बिरजू महाराज के निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर छा गई। उनके निधन से संगीत जगत को बड़ी क्षति पहुंची है। पंडित बिरजू महाराज ने न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में कत्थक को एक नई पहचान दिलाई। साथ ही कुछ बॉलीवुड फिल्मों में कोरियोग्राफी कर उन्हें एक नया रंग दिया है।

महज 3 वर्ष की उम्र में ही दिखने लगी थी प्रतिभा

कथक के पर्याय थे बिरजू महाराज। वह देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक थे। वे भारतीय नृत्य की कथक शैली के आचार्य और लखनऊ के 'कालका-बिंदादीन' घराने के प्रमुख थे। पिता अच्छन महाराज को अपनी गोद में महज तीन साल की उम्र में ही बिरजू की प्रतिभा दिखने लगी थी। इसी को देखते हुए पिता ने बचपन से ही अपने यशस्वी पुत्र को कला दीक्षा देनी शुरू कर दी। किंतु इनके पिता की शीघ्र ही मृत्यु हो जाने के बाद उनके चाचाओं, सुप्रसिद्ध आचार्यों शंभू और लच्छू महाराज ने उन्हें प्रशिक्षित किया। कला के सहारे ही बिरजू महाराज को लक्ष्मी मिलती रही। उनके सिर से पिता का साया उस समय उठा, जब वह महज नौ साल के थे।

काशी से था खास रिश्ता
पंडितजी के निधन का समाचार सुनकर काशी कलाकारों में भी शोक की लहर है। रिश्तों की बात करें तो गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की पुत्री लक्ष्मी देवी पंडितजी का विवाह हुआ था। वहीं, विख्यात सारंगी वादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के छोटे पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ पंडितजी की बड़ी बेटी कविता का विवाह हुआ। पंडित बिरजू महाराज के एक भाई ने बनारस घराने के पंडित रामसहाय के सानिध्य में तबला वादन में निपुणता हासिल कर बनारस बाज शैली को बुलंदियों तक पहुंचाया।

संकटमोचन संगीत समारोह से जुड़ी थी आस्था

पंडित जी के निधन की खबर सुनकर संकटमोचन मंदिर के महंत और BHU-IIT के प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने शोक व्यक्त करते हुए बताया कि संकटमोचन संगीत समारोह के प्रति पंडितजी की विशेष आस्था थी। पंडितजी कहते थे कि वाराणसी गुणी संगीतत्रों की जन्म-कर्मस्थली है। इस समारोह की बेला में अपनी सृजनात्मक यात्रा को स्वयं के लिए पुण्य उपलब्धि मानता हूं। 2018 के समारोह में पंडित बिरजू महाराज ने कथक के भावों से और पंडित जसराज ने सुरों से नटवर नागर का स्वरूप सजाया था। समारोह में मौजूद लोगों का मन मयूर इस कदर झूमा था कि उसकी अभिव्यक्ति हर-हर महादेव के उद्घोष के रूप में गूंजती रह गई थी। प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि कोरोना महामारी का जब से प्रकोप देश और दुनिया में फैला तभी से पंडितजी यहां नहीं आए। आखिरी बार लगभग 3-4 महीने पहले उनसे बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि जल्द ही काशी फिर आना होगा। ऐसी पुण्य आत्माएं सदियों में एकाध बार ही अवतरित होती हैं।

स्वयं नटराज की कृपा थी पंडित जी पर 

पद्म भूषण पंडित साजन मिश्र ने साल 2021 में अपने समधी के जन्मदिन से एक दिन पहले कहा था कि महाराजजी बनारस के किसी भी मंच पर उपस्थित हों तो हर-हर महादेव के उद्घोष से दिशाएं गूंज जाती हैं। वह जहां खड़े हो जाते हैं वहां स्वयं नटराज कृपा बरसाते हैं। हर पद संचलन और भाव मुद्रा में उनमें नटराज की छवि उतर आती है। उम्र की थकान के बावजूद चेहरे के विविध भावों और हाथों की अनूठी मुद्राओं की जीवंत प्रस्तुतियों से वह अपने प्रशंसकों को रिझा कर मंच पर छाए रहते हैं।

बीएचयू ने दी थी डॉक्टरेट की मानद उपाधि

पंडित बिरजू महाराज की बड़ी पुत्री और उनकी शिष्या कविता मिश्र ने पिछले साल बताया था कि गुरुकुल में अन्य शिष्य हो या हम लोग, रियाज में वह किसी तरह की रियायत नहीं देते थे। नर्तन में कृष्ण की भाव भंगिमा हो या राधा रानी की कटाक्ष मुद्रा, क्या अंतर है। यह साधने में कई दिन गुजर जाते थे। उनका पखावज, वीणा या हारमोनियम वादन पर आज भी उनका गजब का अधिकार था। बता दें कि पंडित बिरजू महाराज को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि भी दी थी।


देश-विदेश में दी हजारों नृत्य प्रस्तुतियां 

1998 में अवकाश ग्रहण करने से पूर्व पंडित बिरजू महाराज ने संगीत भारती, भारतीय कला केंद्र में अध्यापन किया व दिल्ली में कत्थक केंद्र के प्रभारी भी रहे। इन्होंने हजारों संगीत प्रस्तुतियां देश में देश के बाहर दीं। बिरजू महाराज ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त किए। उन्हें प्रतिष्ठित 'संगीत नाटक अकादमी' , 'पद्म विभूषण' मिला। मध्य प्रदेश सरकार सरकार द्वारा इन्हें 'कालिदास सम्मान' से नवाजा गया। 

पांच बच्चों व नाती पोतों का परिवार छोड़ गए

बिरजू महाराज का भरापूरा परिवार है। उनके पांच बच्चे हैं। इनमें तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनके तीन बच्चे ममता महाराज, दीपक महाराज और जय किशन महाराज भी कथक की दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं। 

ये पुरस्कार भी मिले

बिरजू महाराज को कई सम्मान मिले। 1986 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा कालिदास सम्मान प्रमुख हैं। इनके साथ ही इन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं खैरागढ़ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि मानद मिली। 2016 में हिन्दी फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में 'मोहे रंग दो लाल' गाने पर नृत्य-निर्देशन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 2002 में उन्हें लता मंगेश्कर पुरस्कार से नवाजा गया। 2012 में 'विश्वरूपम' के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का और 2016 में 'बाजीराव मस्तानी' के लिए सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। 


पीएम और सीएम ने  जताया शोक

पंडित जी के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है किभारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! 

वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि कथक सम्राट, पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी का निधन अत्यंत दुःखद है।उनका जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!