भंवर में नाव हो तो फिर सवारी कौन करता है... सुबह-ए-बनारस के मंच पर सजी कवियों की महफिल, बही कविताओं की रसधार

सुबह-ए-बनारस के काव्य प्रकल्प ‘काव्यार्चन’ की 14वीं कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर किया गया.काव्यपाठ की शुरुआत उदीयमान रचनाकार डॉ.शिवप्रकाश ‘साहित्य’ ने की. उन्होंने ‘रिक्त घड़े में शून्य शून्य तन मन बैठा रोता है’ रचना से प्रभावित किया. आकाशवाणी के उद्घोषक अभिनव अरुण ने आम आदमी के दर्द से भरी ग़ज़लें पढ़ीं

भंवर में नाव हो तो फिर सवारी कौन करता है... सुबह-ए-बनारस के मंच पर सजी कवियों की महफिल, बही कविताओं की रसधार

वाराणसी, भदैनी मिरर। सुबह-ए-बनारस के काव्य प्रकल्प ‘काव्यार्चन’ की 14वीं कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर किया गया. चंडीगढ़ की डॉ उषा पांडेय के मुख्य आतिथ्य और वरिष्ठ गजलकार महेंद्र तिवारी ‘अलंकार’ की अध्यक्षता में आयोजित काव्यार्चन में नगर के वरिष्ठ रचनाकारों के साथ ही उदीयमान कवि ने भी काव्यपाठ किया.

 
काव्यार्चन की शुरुआत साहित्य भूषण डॉ. जयप्रकाश मिश्र, वरिष्ठ कवि सूर्य प्रकाश मिश्र व गिरीश पांडेय ने दीप प्रज्जवलन से की. इस आयोजन की विशेषता यह रही कि काव्यार्चन की पहली कड़ी से नियमित श्रोता के रूप में उपस्थित होने वाले बालेश्वर तिवारी, किशोर कुमार एवं सुजीत ठाकुर ने रचनाकारों को प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया. 

काव्यपाठ की शुरुआत उदीयमान रचनाकार डॉ.शिवप्रकाश ‘साहित्य’ ने की. उन्होंने ‘रिक्त घड़े में शून्य शून्य तन मन बैठा रोता है’ रचना से प्रभावित किया. आकाशवाणी के उद्घोषक अभिनव अरुण ने आम आदमी के दर्द से भरी ग़ज़लें पढ़ीं. उन्होंने सुनाया ‘भंवर में नाव हो तो फिर सवारी कौन करता है, नियति के सामने ये होशियारी कौन करता है. 

बरेका के गीतकार नव किशोर गुप्त ने राष्ट्रभक्ति का रंग घोलते हुए सुनाया ‘दिव्य धरोहर सुना रहे हैं, संस्कृतियों की तान, हमारा प्यारा हिन्दुस्तान. मुख्य अतिथि डॉ. उषा पांडेय ने सुनाया ‘कंगन, यूड़ी हाथ में बिछया पायल पांव,आए साजन द्वार जब दूं नैनों की छांव’ से वातावरण में शृंगार का पुट परोसा. 

अध्यक्षीय काव्यपाठ में महेंद्र तिवारी ‘अलंकार’ ने सुनाया कि ‘ये टूटे कांच के टुकड़े गवाही हैं तबाही के,कि सच कहने की खातिर आइने कितने लड़े होंगे. काव्यर्चान के संचालक डॉ.नागेश शांडिल्य ने हंस की पीड़ा पर केंद्रित व्यंग रचना से वर्तमान पर कटाक्ष किया. रचनाकारों का स्वागत एड. रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’, संयोजन अरविन्द मिश्र ‘हर्ष’ एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रेम नारायण सिंह ने किया.