'उम्र कई किस्तों में बंट गई, घर नहीं मकान के लिए....सुबह-ए-बनारस मंच पर सजी कवियों की महफिल

सुबह-ए-बनारस आनंद कानन के काव्यार्चन प्रकल्प की 13वीं कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर किया गया. इस आयोजन में एक से बढ़कर एक कविताएं,गीत और गजलें सुनने को मिलीं.

'उम्र कई किस्तों में बंट गई, घर नहीं मकान के लिए....सुबह-ए-बनारस मंच पर सजी कवियों की महफिल

वाराणसी, भदैनी मिरर। सुबह-ए-बनारस आनंद कानन के काव्यार्चन प्रकल्प की 13वीं कड़ी का आयोजन मंगलवार को अस्सी घाट पर किया गया. इस आयोजन में एक से बढ़कर एक कविताएं,गीत और गजलें सुनने को मिलीं.

अध्यक्षीय काव्यपाठ नगर के वरिष्ठ रचनाकार गणेश प्रसाद 'गम्भीर ने किया. उनकी गज़ल 'उम्र कई किस्तों में बंट गई ,घर नहीं मकान के लिए, एक ग़ज़ल शब्दों में खो गई,अपने उन्वान के लिए' बेहद पसंद की गई. गाजियाबाद के ख्यातिलब्ध कवि मोहन द्विवेदी 'मोही' ने अतिथि रचनाकार के रूप में काव्यार्चन की शोभा बढ़ाई. 

मूलतः चकिया के निवासी 'मोही' ने ज्वलंत मुद्दों पर आधारित कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया. पेशे से शिक्षिका प्रतिभा मिश्र  'ख़्वाहिश' ने अपनी कविताओं और गीतों से श्रोताओं से भरपूर प्रशंसा  बटोरी. उन्होंने 'सावन' शीर्षक से रचना पढ़ी. बानगी कुछ यूं है 'हरित धरा, सुन्दर नव पल्लव,गीला घर का आंगन है, नाचो गाओ खुशी मनाओं झूम के आया सावन है.
 
खेल की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले प्रताप दुबे ने अपनी उम्दा गजलों से जमकर तालियां बटोरीं. उनकी गज़लें खूब  पसंद  की गईं. उदीयमान रचनाकार शालिनी जायसवाल ने 'मेरा प्रिय शगल' शीर्षक से रचना पढ़ी. बानगी कुछ यूं है' 'बचपन में गर मुझे,पाॅकेट-मनी मिली होती,तो मैं खरीद लाती उससे,रंग-बिरंगी किताबें, कुछ कहानियों की, कुछ कविताओं‌ की...।' 

काव्यार्चन का सरस संचालन रुद्रनाथ त्रिपाठी 'पुंज' ने किया. रचनाकारों को प्रमाणपत्र पं. सूर्य प्रकाश मिश्र पं गिरीश पांडेय, महेंद्र तिवारी 'अलंकार' ने प्रदान किया. कवि सम्मेलन का संयोजन एएम. 'हर्ष' और स्वागत डॉ. नागेश शांडिल्य और धन्यवाद ज्ञापन  प्रेम नारायण सिंह ने किया.