मारपीट और तोड़फोड़ मामले में 6 छात्रों को मिली अग्रिम जमानत, BHU ट्रामा सेंटर से जुड़ा है मामला
मारपीट और तोड़फोड़ मामले में 6 छात्रों को मिली अग्रिम जमानत, BHU ट्रामा सेंटर से जुड़ा है मामला
वाराणसी, भदैनी मिरर। बीएचयू ट्रामा सेंटर में चिकित्सा कार्य कर रहे कर्मियों से मारपीट, तोड़फोड़ व हंगामा करने के मामले में 6 छात्र नेताओं को कोर्ट से राहत मिल गयी। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट द्वितीय) अनुभव द्विवेदी की अदालत ने तरवां, आजमगढ़ निवासी अनिल यादव, फेफना, बलिया निवासी शशांक यादव, चंदवक, जौनपुर निवासी अमित मौर्या, धानापुर, चंदौली निवासी रंजीत यादव, धीना, चंदौली निवासी अजीत यादव, बाकराबाद, जौनपुर निवासी हिमांशु यादव को 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व चंद्रबली पटेल ने पक्ष रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार सुरक्षा पर्यवेक्षक शिवशंकर सिंह यादव ने लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 27 अप्रैल 2023 को समय 10:30 बजे सुबह वह ट्रामा सेन्टर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह तथा कर्नल मनीष शर्मा के साथ ट्रामा सेन्टर के आर्थो अनुभाग में रूटीन चेकिंग में थे। उसी दौरान कक्ष संख्या 6 और 7 में चेकिंग के दौरान मरीजों का तीन बाहरी व्यक्तियों जिनका मेडिकल कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं है, जिनका नाम क्रमश गोविन्द, अमित यादव और आनन्द है। ये लोग मरीजों को अन्य जगह से एक्सरे, एमआरआई व दवाई लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे। इस पर जब उनसे पूछताछ की गई तो वे लोग उग्र हो गए और कहा कि हम लोग बीएचयू के छात्र है, जो प्रत्येक बृहस्पतिवार को आते हैं और ओपीडी में कुछ डाक्टर के साथ रहते है। जब तक ओपीडी चलती है हम लोग अपने हिसाब से इच्छानुसार कार्य करते व कराते रहे है। इस पर उन तीनों को पकड़ कर नगवां पुलिस चौकी को सौंप दिया गया। इसके बाद लगभग 12.20 बजे दोपहर इन्हीं तीनों व्यक्तियों और संभवतः अन्य लिप्त व्यक्तियों द्वारा उकसाने पर 10 से 15 और शरारती और अवांछनीय तत्व शोर शराबा, गाली-गलौज तथा नारेबाजी करते हुए ट्रामा सेन्टर चिकित्सालय परिसर में चढ़ गये। जिनमे से कुछ के नाम क्रमशः अजीत यादव, शशांक यादव, अनिल यादव, हिमांशु व रंजीत यादव है, जो प्रभारी ट्रामा सेन्टर तथा सहयोगी कर्मचारियों को भद्दी भद्दी गाली दे रहे थे और नारेबाजी करते हुए धक्कामुक्की करने लगे तथा ओपीडी के कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर दिया गया। जिसके चलते ट्रामा सेन्टर में भर्ती मरीजों के बीच भगदड़, असुरक्षा तथा भय का वातावरण व्याप्त हो गया तथा चिकित्सा कार्य में लिप्त अन्य चिकित्सकों एवं कर्मियों में भी भय व असुय्क्षा का वातावरण बन गया। इस बीच पुलिस के आने की सूचना पर सभी हमलावर सुरक्षा पर्यवेक्षक को जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से भाग गए।