सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धदात्री की हो रही नवमी पर पूजा, महात्म्य...
शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि को माता सिद्धदात्री के दर्शनों का महात्म्य है। माता को यश विद्या बुद्धि बल की देवी के रूप में पूजा जाता है। वाराणसी में इनका मंदिर मैदागिन गोलघर इलाके के सिद्धमाता गाली में स्थित है।
वाराणसी,भदैनी मिरर। शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि को माता सिद्धदात्री के दर्शनों का महात्म्य है। माता को यश विद्या बुद्धि बल की देवी के रूप में पूजा जाता है। वाराणसी में इनका मंदिर मैदागिन गोलघर इलाके के सिद्धमाता गाली में स्थित है। माँ के इस स्वरुप के दर्शन के लिए नवरात्र में सभी दिन खासकर नवमी तिथि पर खास भीड़ होती है । श्रद्धालु सुबह से ही मां के दर्शन के लिए मंदिर में कतारबद्ध रहते हैं और घंटों इंतजार के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिल पाता है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में जो भक्त देवी दरबार में दर्शन नहीं कर पाते हैं, वे अंतिम नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के दर्शन कर ले तो उनको पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है। देवी पुराण में भी माता के महत्व का वर्णन है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने सिध्माता की आराधना तपस्या कर सभी सिद्धियों को प्राप्त किया था। भागवत पुराण में भी माता के लिए बताया गया है की सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धदात्री कहा जाता है। यह देवी विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है। माता के चार हाथ है जिनमे माँ ने हाथों में कमल, संख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं।