World Stroke Day: ब्लड प्रेशर और शुगर है लकवा के प्रमुख कारण, बोले न्यूरोलॉजिस्ट डाक्टर अविनाश सिंह नशा करने वालों पर हमेशा रहता है खतरा...
डॉ अविनाश चंद्र सिंह ने स्ट्रोक यानी लकवा के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है।
वाराणसी,भदैनी मिरर। वर्ल्ड स्ट्रोक डे के अवसर पर सिगरा स्थित शौर्य न्यूरोलोजी के निदेशक और प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अविनाश चंद्र सिंह ने स्ट्रोक यानी लकवा के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। तो उसे लकवा कहते हैं। लकवा दो तरह का होता है। जब मस्तिष्क की नस फट जाती है तो उसे हैंबरेज कहते हैं और जब ब्लड रूक जाता है तो उसे स्ट्रोक कहते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
डॉक्टर अविनाश बताते हैं कि वैसे तो लकवा के कई कारण होते हैं। लेकिन दो तरह के कारण सामान्य होते हैं। एक जो प्रभावित होते हैं और दूसरा जिसे प्रभावित नहीं किया जा सकता है। यह ज्यादातर बढ़ती उम्र के पुरुषों को होता हैं। लेकिन जिन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता वह है रक्तचाप, मधुमेह और एल्कोहल का सेवन। आजकल युवा ज्यादातर सिगरेट और एल्कोहल का सेवन करने लगे हैं जिसके कारण उन्हें लकवा मारने की संभावना ज्यादा बढ़ने लगी है।
डॉ अविनाश बताते हैं की लकवा के लक्षणों में तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने के अलावा मूड में बदलाव होना, व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन, कुछ समय के लिए चेतना का भ्रम महसूस होना, याददाश्त क्षमता प्रभावित कम होना, सोचने, बात करने, समझने, लिखने या पढ़ने में कठिनाई होना और सुन्न होना आदि शामिल हैं।
लकवा का इलाज संभव
डॉ अविनाश बताते हैं की लकवा के मरीजों को ठीक होने के लिए उसके लक्षणों को जानना सबसे पहले जरूरी है। लकवा के मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते यदि समय पर उन्हें चिकित्सक के पास ले जाया जाय। लकवा के लक्षण दिखते ही 4 घंटे के अंदर अगर चिकित्सक के पास ले जाया जाय तो मरीज के ठीक होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। लकवा का इलाज पहले हफ्ते या पहले माह में तेजी से काम करता है। इसके बाद यह 6 माह तक भी सही तरीके से काम करता है। 6 माह के बाद यह धीरे धीरे काम करता है। इसलिए लकवा के लक्षण दिखते ही तत्काल चिकित्सक की सलाह लें ताकि मरीज जल्द से जल्द ठीक हो सके।