झिर-झिर बरसे सावन रस बूंदिया : महंत आवास पर काशीपुराधिपति की पंचबदन प्रतिमा का तिरंगा श्रृंगार, कजरी सुनाकर की गई शिवांजली अर्पित

श्रावण पूर्णिमा पर बाबा काशी विश्वनाथ के झूलनोत्सव की पूर्व परंपरानुसार काशीपुराधिपति की कजरी का आयोजन टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर किया गया.

झिर-झिर बरसे सावन रस बूंदिया : महंत आवास पर काशीपुराधिपति की पंचबदन प्रतिमा का तिरंगा श्रृंगार, कजरी सुनाकर की गई शिवांजली अर्पित

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्रावण पूर्णिमा पर बाबा काशी विश्वनाथ के झूलनोत्सव की पूर्व परंपरानुसार काशीपुराधिपति की कजरी का आयोजन टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर किया गया. कजरी से पहले बाबा की पंचबदन प्रतिमा का पारंपरिक रूप से  तिरंगा श्रृंगार किया गया.

इस दौरान उपस्थित भक्तों ने बाबा की कजरी और बाबा के भजन गाए गए. झूला धीरे से झुलाऊं महादेव,गंगा किनारे पढ़ा हिंडोल, डमरूवाले औघड़दानी, झिर झिर बरसे सावन रस बूंदिया, कहनवा मानो ओ गौरा रानी, जय जय हे शिव परम पराक्रम ,तुम बिन शंकर आदि रचनाएं उदीयमान कलाकारों ने बाबा के चरणों में अर्पित कीं.

गायन करने वालों में मिर्जापुर के ध्रुवु मिश्रा, संगीता पाण्डेय, अथर्व मिश्र, करूणा सिंह, सत्य प्रकाश पटेल, सूरज प्रसाद शामिल रहे.तिरंगा श्रृंगार व पूजन महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्य पं. शिवभtषण त्रिपाठी के देख रेख में दिक्षित मंत्रों से वाचस्पति तिवारी ने पूरा किया. वाचस्पति ने बताया कि जिस तरह से मेरे परपितामह पं. महाबीर प्रसाद तिवारी, पितामह पं कैलाश पति तिवारी और पिता डॉ. कुलपति तिवारी ने मंदिर से जुड़ी परंपराओं का निर्वाह किया उसी क्रम आज विश्व कल्याण की भावना से बाबा विश्वनाथ जी के झूलनोत्सव से पुर्व पंचबदन प्रतिमा का तिरंगा श्रृंगार कर कजरी सुनाकर शिवांजली अर्पित किया गया है.

श्रावण पूर्णिमा (19 अगस्त) पर मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा के अंतर्गत बाबा को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा. काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव सायंकाल साढ़े पांच बजे के बाद आरंभ होगा. उससे पूर्व टेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा.

पूजनोपरांत मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके टेढ़ीनीम से साक्षीविनायक, ढुंढिराजगणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाएंगे. इस दौरान बाबा का विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका रहेगा. मंदिर पहुंचने के बाद बाबा की पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ पारंपरिक झूले पर विराजमान कराया जाएगा. दीक्षित मंत्र से पूजन के बाद सर्वप्रथम गोलोकवासी  महंत डा.कुलपति तिवारी के पुत्र व महंत परिवार के सदस्य बाबा को झूला झुलाएंगे.

श्रावण पूर्णिमा पर महंत आवास टेढ़ीनीम से मंदिर में झुलनोत्सव के झूला (साज-सज्जा) भेजने के बाद पंचबदन शिव परिवार की चल प्रतिमा का विश्वनाथ मंदिर ले जाकर शाम साढ़े चार से सवा पांच बजे तक विधान पूर्वक पूजन के बाद मंदिर में विराजमान किया जाएगा. इनमें जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल रहेंगे.